पुणे : सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को और अधिक पेशेवर बनाने के लिए साहसी सुधारों की प्रतिबद्धता जताते हुए वित्तमंत्री अरूण जेटली ने आज बैंकरों को भरोसा दिलाया कि उन्हें ‘जोखिम उठाना होगा’ और सरकार उनके वाणिज्यिक फैसलों का बचाव करने को तैयार है. जेटली यहां बैंकों व वित्तीय संस्थान प्रमुखों के दो दिवसीय सम्मेलन ज्ञान संगम को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि सरकार गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घटाने में बैंकों की मदद के लिए ‘नियमों पर पुनर्विचार’ की इच्छुक है. एनपीए बैंकिंग उद्योग के लिए बडी चुनौती बना हुआ है. उन्होंने कहा, ‘सरकार सार्वजनिक बैंकों के प्रबंधन को और अधिक पेशेवर बनाने,उन्हें निर्णय प्रक्रिया में स्वायत्ता देने, योग्यता को पुरस्कृत करने तथा शीर्ष प्रबंधन स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया पर फिर से विचार करने के लिए साहसी फैसलों के लिए तैयार है.’
जेटली ने कहा कि सरकार वाणिज्यिक फैसलों की रक्षा करने को तैयार है ताकि अच्छे फैसलों में देरी को टाला जा सके. वित्त मंत्री ने कहा, ‘जोखिम तो लेना ही होगा. अनुकूल बात यह है कि नयी सरकार में नये फैसले लेने का तत्व है और इसके लिए बडा समर्थन भी है.’
आर्थिक हालात सुधारने के लिए सरकार ने जीएसटी तथा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन जैसे कई ‘साहसी कदम’ उठाए ताकि ढांचागत क्षेत्र की वृद्धि बहाल की जा सके. वित्त मंत्री ने कहा कि इसके अलावा एफडीआई तथा घरेलू निवेश बढाने के लिए कदम उठाए गए हैं ताकि विनिर्माण क्षेत्र को बल दिया जा सके.
जेटली ने कहा, ‘ढांचागत क्षेत्र को वित्तपोषण में बैंकों को बडी भूमिका निभानी होगी. बिजली तथा अन्य ढांचागत क्षेत्रों में वृद्धि बहाल करनी होगी.’ प्रधानमंत्री जन धन योजना का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ज्यादातर निष्क्रिय खाते प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की शुरुआत के साथ परिचालन में आ जाएंगे.
उन्होंने कहा, ‘ये खाताधारक नकदी रहित प्रणाली की पहचान का प्रतीक बन जाएंगे.’ इस योजना के तहत अब तक तय समय अवधि से एक महीने पहले ही 10 करोड से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं.
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