अधिकारियों ने जिंदल स्टील द्वारा सीमा से अधिक कोयला खनन की अनदेखी की : सीबीआइ

नयी दिल्ली : कोयला मंत्रालय के अधिकारियों की पूर्व कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल की अगुवाई वाली जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल) को मंजूरी सीमा से करीब तीन गुना अधिक कोयले के अवैध खनन की अनुमति में मौन सहमति थी. कोयला खान आबंटन घोटाला मामले में सीबीआइ जांच में यह दावा किया गया है. एजेंसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2015 5:43 PM
नयी दिल्ली : कोयला मंत्रालय के अधिकारियों की पूर्व कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल की अगुवाई वाली जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल) को मंजूरी सीमा से करीब तीन गुना अधिक कोयले के अवैध खनन की अनुमति में मौन सहमति थी. कोयला खान आबंटन घोटाला मामले में सीबीआइ जांच में यह दावा किया गया है.
एजेंसी ने मामले में दर्ज प्राथमिकी में इन बातों को शामिल किया है. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि मंत्रालय के अधिकारियों ने अत्यधिक खनन को लेकर न केवल आंखें मूंद ली बल्कि उसे नियमित भी कर दिया.
मामला कोयला घोटाले में सीबीआइ की जारी जांच से जुड़ा है. एजेंसी ने कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मंजूरी प्राप्त खनन योजना के तहत कोयला उत्खनन करने के बजाए कंपनी ने अवैध तरीके से अत्यधिक खनन का रास्ता अपनाया.
प्राथमिकी में एजेंसी ने आरोप लगाया है कि 1998-99 से 2002-03 के दौरान 13.5 लाख टन कोयले के उत्पादन की मंजूरी थी जबकि वास्तविक उत्पादन 59 लाख टन किया गया. अवैध तरीके से 45.5 लाख टन कोयले का खनन किया गया जो मंजूरी प्राप्त खनन का 300 प्रतिशत अधिक है.
अपनी स्थिति का बचाव करते हुए जेएसपीएल के प्रवक्ता ने दावा किया कि खनन योजना में पहले पांच साल के लिये उत्पादन कार्यक्रम का जो जिक्र था, वह एमसीआर 1960 नियम 22 (5) के तहत उल्लेखित दिशानिर्देश पर किया गया था. उसे आरक्यूपी (पंजीकृत पात्र व्यक्ति) तैयार करता है और वह अस्थायी किस्म का होता है.
प्रवक्ता ने कहा कि पहले साल तक प्रति वर्ष 20 लाख टन उत्पादन क्षमता की मंजूरी मिली थी और वहां से कुल मिलाकर अतिरिक्त खनन नहीं किया गया.
सीबीआइ ने आरोप लगाया कि पूरे पांच साल कोयले का अतिरिक्त खनन हुआ और कोयला मंत्रालय से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गयी.
सीबीआइ ने आरोप लगाया कि अतिरिक्त खनन का मामला कंपनी द्वारा 2004 में संशोधित खान योजना के लिये कोयला मंत्रालय की स्थायी समिति के समक्ष की गयी प्रस्तुती के समय रिकार्ड में आया लेकिन मंत्रालय ने कंपनी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया.
आरक्यूपी की भूमिका भी सीबीआइ जांच के घेरे में है. जांच एजेंसी का कहना है कि आरक्यूपी ने खनन योजना सही नहीं बनायी और मंत्रालय के नोटिस में अनियमित खनन पट्टा सामने आने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
एजेंसी का आरोप है, दिलचस्प बात यह है कि निलंबित आरक्यूपी की 2008 की संशोधित खनन योजना में भी अहम भूमिका रही.

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