रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा, सोने को सीआरआर में जोड़ने से मना किया

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा और सोने के भंडार को शामिल करते हुये नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) के आधार को व्यापक बनाये जाने के खिलाफ है. उसका मानना है कि इससे बैंकों के ऊपर अतिरिक्त बोझ पडेगा. बैंकों को अपनी कुल जमा का कुछ हिस्सा नकदी के रुप में रिजर्व बैंक के पास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2015 5:51 PM
नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा और सोने के भंडार को शामिल करते हुये नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) के आधार को व्यापक बनाये जाने के खिलाफ है. उसका मानना है कि इससे बैंकों के ऊपर अतिरिक्त बोझ पडेगा.
बैंकों को अपनी कुल जमा का कुछ हिस्सा नकदी के रुप में रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. फिलहाल यह अनुपात चार प्रतिशत है. प्रोफेसर एरॉल डी’सूजा के एक अध्ययन में सोने के मौद्रीकरण का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत सीआरआर के लिए आवश्यकता आरक्षित नकदी की आवश्यकता के 30 प्रतिशत तक विदेशी मुद्रा और सोने के भंडार को शामिल किया जा सकता है.
सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक का कहना है कि सीआरआर घरेलू मुद्रा में रखा जाता है, लेकिन यदि इसमें सोना और विदेशी मुद्रा को भी शामिल किया जाता है तो बैंकों के लिये लागत बढ जायेगी. सोना और विदेशी मुद्रा की विनिमय दर लगातार बदलती रहती है इसलिये बैंकों को इसकी गणना पर लगातार नजर रखनी पडेगी जो कि कठिनाई पैदा करेगा.
सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक ने इस मामले में जो तर्क दिये हैं उसमें कहा गया है, यह प्रस्ताव सामान्य स्थिति के प्रतिकूल है. विदेशी पूंजी प्रवाह बढने की स्थिति में यदि बैंकों को सीआरआर में विदेशी मुद्रा और सोना शामिल करने को कहा जाता है. माना कि प्रवाह लगातार बना रहता है ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होगा, जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा और सोने में रखे सीआरआर का मूल्य बढते रुपये की वजह से कम होगा. वित्त मंत्रालय ने आइआइएम अहमदाबाद के प्रो. डी’सूजा की यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक को विचारार्थ भेजी है. रिजर्व बैंक ने विभिन्न आधारों पर इसे खारिज कर दिया.

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