राष्ट्रपति ने सरकार के खनन अध्यादेश को मंजूरी दी

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के खनन क्षेत्र से जुड़े सरकार के खान अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इससे लौह अयस्क और बाक्साइट जैसे खनिजों वाले खान ब्लाकों की नीलामी का रास्ता साफ हो गया है. 57 साल पुराने एमएमडीआर कानून में संशोधन करने वाले अध्यादेश में ई-नीलामी समेत प्रतिस्पर्धी बोली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2015 6:52 PM
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के खनन क्षेत्र से जुड़े सरकार के खान अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इससे लौह अयस्क और बाक्साइट जैसे खनिजों वाले खान ब्लाकों की नीलामी का रास्ता साफ हो गया है.
57 साल पुराने एमएमडीआर कानून में संशोधन करने वाले अध्यादेश में ई-नीलामी समेत प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये 50 साल के लिये खान आबंटन का प्रावधान है. एक आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर अपनी मुहर लगा दी है.
यह अध्यादेश, सरकार को उत्पादन साझेदारी या रायल्टी भुगतान समेत बोली के लिये नियम एवं शर्तों तथा प्रक्रियाएं निर्धारित करने का अधिकार देता है. खान एवं खजिन (विकास एवं नियमन) संशोधन, अध्यादेश 2015 में कहा गया है, राज्य सरकार किसी अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित खनिज के संदर्भ में खनन पट्टा देने के लिये ई-नीलामी समेत प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर नीलामी का रास्ता अपनाएगी.
इसमें कहा गया है, केंद्र सरकार नीलामी के लिये नियम एवं शर्तों तथा प्रक्रियाओं का निर्धारण करेगी. इसमें खनिज के उत्पादन में भागीदारी या रॉयल्टी भुगतान या अन्य प्रासंगिक मानदंड समेत चयन के लिये बोली मानदंड शामिल है. अध्यादेश में खनन पट्टा 50 साल के लिये देने की बात कही गयी है. इससे पहले जो भी खान दिये गये हैं, उसे भी समझा जाएगा कि उसे 50 साल के लिये दिया गया है.
इसके अनुसार, पट्टा अवधि समाप्त होने के बाद उसे कानून की प्रक्रियाओं के तहत नीलामी के लिये रखा जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस अध्यादेश के प्रस्ताव को पांच जनवरी को मंजूरी दी थी. अध्यादेश में परियोजना से प्रभावित लोगों के कल्याण के लिये गैर-लाभकारी ट्रस्ट, जिला खनिज फाउंडेशन स्थापित करने का प्रावधान है.
खनन पट्टा रखने वाले या खनिजों का पता लगाने समेत खनन पट्टाधारकों को रायल्टी के अलावा जिला खनिज फाउंडेशन में योगदान करना होगा लेकिन यह रायल्टी का एक तिहाई से अधिक नहीं होगा.
साथ ही राष्ट्रीय खनिज उत्खनन ट्रस्ट के गठन का प्रावधान है और खनन पट्टा रखने वाले या खनिजों का पता लगाने समेत खनन पट्टाधारकों को रायल्टी का 2 प्रतिशत देना होगा. इस ट्रस्ट को प्राप्त धन का उपयोग क्षेत्रीय तथा विस्तृत उत्खनन उद्देश्य को पूरा करने में किया जाएगा. उल्लंघनकर्ताओं को 5 लाख रपये प्रति हेक्टयेर तक जुर्माना देना होगा और 5 साल तक की जेल होगी.

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