नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ को लेकर राज्य सरकारों ने भी विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए अपने राज्यों में सम्मेलनों का आयोजन करना शुरू कर दिया है. अभी हाल ही में बंगाल और गुजरात में ऐसे ही दो शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया गया, जिसके गवाह देश के वित्त मंत्री अरूण जेटली भी बनें. जेटली ने दोनों संम्मेलनों के बाद अपनी राय एक पत्र के माध्यम से जाहिर की. निचे लिखा लेख अरूण जेटली की ही राय (शब्दस) है. जिसे भाजपा के हेड ऑफिस ने जारी किया है.
पिछले साल दो राज्य सरकारों – पश्चिम बंगाल और गुजरात ने अपने-अपने यहां वैश्विक शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया. मुझे उन दोनों में शामिल होने का अवसर मिला.
पश्चिम बंगाल वैश्विक शिखर सम्मेलन, राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार की एक पहल थी. पश्चिम बंगाल एक प्रमुख औद्योगिक राज्य था. 1960 के दशक के अंत में यहां नक्सली समस्या की शुरुआत हुई, जो वाम मोर्चा सरकार की नीतियों के कारण बढ़ गयी, उद्योग राज्य से बाहर हो गये. कोलकाता पश्चिम बंगाल के विकास में वृद्धि का प्रमुख केंद्र है. राज्य के पास सफल कृषि है. पश्चिम बंगाल के पास बड़ी मात्रा में बौद्धिक पूंजी है और पिछले एक दशक से यहां सूचना प्रोद्योगिकी में बड़े पैमाने में तेजी आयी है. पश्चिम बंगाल को एक बार फिर औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने की जरुरत है. मेरे सहयोगी नितिन गड़करी भी शिखर सम्मेलन में शामिल हुए. वह कोलकाता-सिलिगुड़ी राजमार्ग बनाने के लिए राज्य के मदद को तैयार हैं. अगर एक ऐसे राजमार्ग के साथ-साथ औद्योगिक गलियारा भी बना दिया जाए तो यह पश्चिम बंगाल को गति प्रदान करेगा. कुछ नये शहरों को बनाना, बंहतर बुनियादी ढ़ांचा, एक औद्योगिक गलियारे का निर्माण, समुद्री संसाधनों का अधिक प्रभावकारी इस्तेमाल करना ही राज्य का भविष्य का एजेंडा होना चाहिए.
मैं खासतौर से इस तथ्य से उत्साहित हो गया कि निर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों से जुड़े प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल हुए. राज्य में लगातार यथानुपात सुधार करने और व्यापार अनुकूल कदम उठाये जाने की जरुरत है, ताकि वर्तमान और संभावित निवेशकों के मन में विश्वास पैदा किया जा सके. केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के विकास में मदद करना चाहती है. वस्तु और सेवा कर लागू कर देने से पश्चिम बंगाल की आमदनी बढ़ेगी. कोयला ब्लॉकों की नीलामी से होने वाला मुनाफा राज्य की आमदनी बढायेगा. नीति आयोग का राज्य सरकार के हाथों में मौजूदा विभिन्न योजनाओं को विकेंद्रित करने का इरादा है.
गुजरात शिखर सम्मेलन का शानदार आयोजन किया गया. गांधीनगर में महात्मा मंदिर एक भव्य सम्मेलन केंद्र था. यह सातवां वाइब्रेंट गुजरात शो था जिसका आयोजन 2003 से किया जा रहा है. प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के अन्य मंत्रियों ने इस वर्ष के वाइब्रेंट गुजरात में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. सच्चाई तो यह है कि दस वर्ष बाद केंद्रीय मंत्रियों ने इस सम्मेलन में शिरकत की. प्रधानमंत्री, मंत्री दुनिया भर से आये नीति निर्माता, बड़े व्यवसायिक घराने, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनोंही वाइब्रेंट गुजरात में मौजूद थे. वाइब्रेंट गुजरात देश का प्रमुख आर्थिक सम्मेलन बन चुका है. इस वर्ष वाइब्रेंट गुजरात में भारत की मार्केटिंग की गयी.
कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश ने अपने निवेशकों की बैठक आयोजित की थी. समाचार माध्यमों से संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में महाराष्ट्र भी अपने यहां ऐसी ही बैठक आयोजित करेगा.
पश्चिम बंगाल और गुजरात के शिखर सम्मेलनों में मेरी भागीदारी ने मेरे अंदर उत्साह भर दिया. आयोजनों का पूरा-पूरा मकसद निवेश को आकर्षित करना था. निवेश पर एकाधिकार के लिए भारत के राज्य एक दूसरे से प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं. मुझे इस बारे में जरा भी संदेह नहीं है कि जो लगातार और एक समान सुधारों और व्यवसाय अनुकूल नीतियों पर जोर दे रहे हैं वह सफल अवश्य होंगे.
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