GST On Online Gaming: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) काउंसिल ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों, कसीनो और हॉर्स रेस में दांव पर लगायी जाने वाली कुल राशि पर 28 प्रतिशत की रेट से टैक्स लगाने का फैसला किया. काउंसिल द्वारा लिए गए इस फैसले का विरोध इस इंडस्ट्री से जुड़े लोग जमकर कर रहे हैं. इस फील्ड से जुड़े लोगों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी. हालांकि, मामले पर बात करते हुए फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा कि, लिए गए इस फैसले के पीछे काउंसिल का मकसद इस इंडस्ट्री को खत्म करना नहीं है बल्कि, एसेंशियल गुड्स पर ऑनलाइन गेमिंग के कम्पैरिजन में कम जीएसटी लगाना है. सीतारमण ने आगे बताया कि, सभी राज्यों की सहमति से यह निर्णय लिया गया है.
रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने मामले पर बात करते हुए बताया कि, फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से काफी कम टैक्स लिया जा रहा है. आगे मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि, पिछले फाइनेंशियल ईयर में सरकार को ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से 1,700 करोड़ रुपये टैक्स के तौर पर मिले थे. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि, इस इंडस्ट्री का साइज करीबन 50 से लेकर 85 हजार करोड़ रुपये के बीच का है. ऐसा होने की वजह से 18 प्रतिशत टैक्स इस इंडस्ट्री के लिए काफी कम है. इस इंडस्ट्री को 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में लाने से सरकार को पिछले साल की तुलना में 10 गुना ज्यादा यानी की करीबन 17,000 करोड़ रुपये टैक्स के तौर पर कमा सकती है.
जानकारी के लिए बता दें ऑनलाइन गेमिंग प्लैटफॉर्म्स पर इस समय फूल फेस वैल्यू पर टैक्स नहीं लिया जाता. कंज्यूमर्स से जो फीस ली जाती है उसी पर यह प्लैटफॉर्म्स कमीशन लेते हैं. इसी कमीशन पर 18 प्रतिशत टैक्स लिया जाता है. उदहारण के तौर पर समझें तो अगर यह प्लैटफॉर्म्स 10 प्रतिशत टैक्स वसूलते हैं तो 1,000 रुपये की फीस पर कंपनी को 100 रुपये का कमीशन प्राप्त होता है. इसी 100 रुपये पर प्लैटफॉर्म्स 18 प्रतिशत जीएसटी के तौर पर चुकाते हैं. जीएसटी काउंसिल द्वारा लिए गए इस फैसले के अनुसार, अब फूल फेस वैल्यू पर जीएसटी चुकाना पड़ेगा. यह टैक्स 28 प्रतिशत होगा. काउंसिल के फैसले के बाद अब अगर प्लैटफॉर्म्स ग्राहकों से 1,000 रुपये लेते हैं तो उन्हें, 280 रुपये जीएसटी के तौर पर चुकाने पड़ेंगे. यह रकम पहले की तुलना में 15 गुना अधिक है.
जानकारी के लिए बता दें सिनेमाघरों में बिकने वाले खाने-पीने के सामान पर कर की दर घटाने के साथ उपकर के लिये एसयूवी की परिभाषा को भी बदल दिया गया है. काउंसिल ने कैंसर के इलाज वाली दवा डिनुटूक्सिमैब और दुर्लभ बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली औषधि को जीएसटी दायरे से बाहर रखने का भी फैसला किया. इसके अलावा निजी कंपनियों की तरफ से दी जाने वाली उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं को भी जीएसटी से छूट देने का निर्णय किया गया है. सिनेमाघरों में परोसे जाने वाले खाने-पीने के सामान पर अब 18 प्रतिशत के बजाए पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगी. यह दर होटल और रेस्तरां में लगने वाले शुल्क के बराबर है. कई मामलों में सिनेमाघर खान-पान के सामान पर 18 प्रतिशत जीएसटी ले रहे थे. (भाषा इनपुट के साथ)
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