नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में 25 बेसिक अंक कटौती की घोषणा कर दी है. यह तुरंत प्रभाव से लागू भी हो गया है. इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा कि अब इस आधार पर अगर बैंक चाहें तो अपने ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं. पहले रेपो रेट 8 प्रतिशत था, जो आज कटौती के बाद 7.75 प्रतिशत रह गया.
रिजर्व बैंक ने कैश रिजर्व रेसियो (सीआरआर) में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की है. रेपो रेट में रिजर्व बैंक की कटौती की घोषणा के बाद जानकारों का मानना है इससे छोटे और मंढोले कर्जदारों को विशेष फायदा नहीं मिलेगा. बड़े उद्योग घरानों की फायदा मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है.
विशेषज्ञों का मानना है कि सीआरआर में कटौती के बाद ही होम लोन, कार लोन जैसे ऋणों पर ईएमआई में कमी आ सकती है. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के इस प्रकार के कदम से निवेशकों में उत्साह का संचार होगा और वे निवेश के लिए प्रेरित होंगे. कंपनियों को मिलने वाले फायदे का असर मुद्रास्फीति पर भी पड़ने की उम्मीद जतायी जा रही है.
आरबीआई ने हालांकि नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है. बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक में अनिवार्य तौर पर रखी जाने वाली नकदी का अनुपात सीआरआर कहलाता है. रेपो दर में कटौती के बाद रिवर्स रेपो को समयोजित कर 6.75 प्रतिशत कर दिया गया है और एमएसएफ तथा बैंक दर 8.75 प्रतिशत कर दिया गया है.
आरबीआई ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जुलाई 2014 से लगातार घट रहा है और यह आशंका से कम स्तर पर है. साथ ही सरकार ने अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के अनुपालन के प्रति प्रतिबद्धता जतायी है. आरबीआई ने कहा, ‘इन घटनाक्रमों ने मौद्रिक नीति की पहलों में बदलाव की गुंजाइश बनायी.’
केंद्रीय बैंक ने दिसंबर में अपनी पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति में कहा था ‘यदि मुद्रास्फीति की मौजूदा गति बरकरार रहती है और मुद्रास्फीतिक अनुमानों में बदलाव जारी रहते हैं और राजकोषीय घटनाक्रम उत्साहजनक रहते हैं तो अगले साल की शुरुआत में मौद्रिक नीति की पहलों में बदलाव हो सकता है जिसमें नीतिगत समीक्षा चक्र से बाहर के परिवर्तन भी शामिल हैं.’
बयान में कहा गया कि आरबीआई के शीर्ष अधिकारियों ने सार्वजनिक बातचीत में मध्यम अवधि मुद्रास्फीतिक लक्ष्य प्राप्त करने के साथ ही मौद्रिक नीति में नरमी की प्रक्रिया शुरू करने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी थी. मुद्रास्फीति की स्थिति के संबंध में बयान में कहा गया ‘मुद्रास्फीति जनवरी 2015 के लिए तय आठ प्रतिशत के लक्ष्य से काफी नीचे आ गई है. मौजूदा नीतिगत व्यवस्था में जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत से नीचे आने की उम्मीद है.’
बयान में कहा गया ‘फल-सब्जी और अनाज की कीमत में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय जिंस विशेष तौर पर कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से मुद्रास्फीति उम्मीद से कमतर स्तर पर आ गई.’ बयान के मुताबिक भू-राजनैतिक झटकों के अलावा कच्चे तेल की कीमत इस साल कम रहने की उम्मीद है.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि आगामी तिमाहियों में संभावित उत्पादन में बढोतरी वृद्धि में अनुमानित तेजी से अधिक हो. आरबीआई ने कहा कि वह नकदी की स्थिति सामान्य बनाए रखने के लिए रोजाना परिवर्तनीय दर वाले रेपो और रिवर्स रेपो को बरकरार रखेगा.
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