नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की अंतिम रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है. कैग ने कृष्णा गोदावरी बेसिन में डी6 कुओं की खुदाई के लिए कांट्रैक्टरों को किए गए भुगतान में अनियमितताएं पाई हैं.
शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 20 मार्च तय की है. इस दौरान न्यायालय कैग की रिपोर्ट पर रिलायंस के जवाब की समीक्षा करेगा. कैग ने अपनी रिपोर्ट में रिलायंस इंडस्टरीज को कुओं की खुदाई व केजी-डी6 में कांट्रैक्टरों को किए गए भुगतान के 35.71 करोड़ डालर यानी लगभग 2,179 करोड़ रुपये के खर्च को निकालने की अनुमति नहीं देने को कहा है. सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार कैग की सिफारिशों व निष्कर्ष पर संसद की लोक लेखा समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद ही टिप्पणी कर सकती है. लोक लेखा समिति अभी इसकी समीक्षा कर रही है.
यह आदेश वरिष्ठ भाकपा नेता गुरदास दासगुप्ता व एनजीओ कॉमन कॉज की 2013 में दायर याचिकाओं पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद दिया गया. इन याचिकाओं में पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के प्राकृतिक गैस के दाम को 4.2 डालर प्रति एमएमबीटीयू से बढाकर 8.4 डालर प्रति इकाई करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. इसके अलावा याचिकाओं में केजी बेसिन से तेल एवं गैस उत्खनन के रिलायंस इंडस्टरीज के अनुबंध को भी रद्द करने की मांग की गई है. इस मामले में तीसरी जनहित याचिका अधिवक्ता एम एल शर्मा ने दायर की है.
न्यायूमर्ति टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ ने दासगुप्ता व अन्य याचिकाकर्ताओं को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के नए दिशानिर्देशों पर अपना जवाब देने की अनुमति दी है. इन दिशानिर्देशों के बाद प्राकृतिक गैस (केजी बेसिन सहित) पर संप्रग सरकार की मूल्य तय करने की नीति की जगह लेंगे.
सालिसिटर जनरल ने 14 नवंबर, 2014 को पीठ (जिसमें न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर तथा न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ भी शामिल हैं: से कहा था कि सरकार ने 18 अक्तूबर को नई घरेलू प्राकृतिक गैस नीति को मंजूरी दी है, जिसके तहत गैस का दाम एक नवंबर से बढकर 5.61 डालर प्रति इकाई हो गया है. उन्होंने कहा था कि रंगराजन समिति की सिफारिशें प्रभावी नहीं होंगी. रंगराजन फार्मूला को तत्कालीन संप्रग सरकार ने मंजूरी दी थी. रंगराजन तत्कालीन प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन थे.
रिलायंस इंडस्टरीज के पूर्वी अपतटीय केजी-डी6 ब्लाक के दूसरे आडिट में कैग ने 28 नवंबर, 2014 को कंपनी को तीन कुओं की 27.98 करोड़ डालर तथा फर्म द्वारा उस क्षेत्र पर किए गए खर्च के एक हिस्से को, जिसे गलत तरीके से खोज क्षेत्र घोषित किया था, उसे तेल की बिक्री आय से निकालने की अनुमति नहीं देने की सिफारिश की थी.
कैग की संसद में पेश रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया था कि कांट्रैक्टरों को अनियमित तरीके से 42.74 करोड़ डालर का भुगतान किया गया. इसमें से कैग ने 7.73 करोड़ डालर की लागत निकालने की अनुमति नहीं देने की सिफारिश की थी.
इससे पहले आरआईएल के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा था, वह गैस मूल्य पर नए दिशानिर्देशों से खुश नहीं हैं. जहां केंद्र ने कहा कि दासगुप्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे नए दिशानिर्देशों के बाद सुलझा लिए गए हैं, वहीं एनजीओ की ओर से उपस्थित अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि कई अन्य मसलों पर बहस की जरुरत है. उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट के मसौदे में भी कहा गया है कि रिलायंस इंडस्टरीज ने केजी गैस ब्लाक के भंडार का अनुमान कहीं बढाकर दिखाया है. उन्होंने कई और अनियमितताओं का भी जिक्र किया.
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