नयी दिल्ली : अपने पहले पूर्ण बजट की तैयारी में लगे वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि राजग सरकार राजस्व बढाने के लिए कर की दरें ऊंची करने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार चाहेगी कि लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचे ताकि वे खर्च करें और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिले.
उन्होंने बजट की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने का वादा करते हुए कहा कि जनता को सरकार की वित्तीय स्थिति की वास्तविक जानकारी दी जानी चाहिए. जेटली ने प्राइवेट समाचार चैनल सीएनबीसी आवाज के एक कार्यक्रम में कहा, ‘राजस्व बढाने के लक्ष्य के लिए ऊंची दर से कर लगाना ही एकमात्र रास्ता नहीं है. हम यह रास्ता नहीं पकडने जा रहे हैं.’
जेटली से सवाल किया गया था कि क्या देश में आयकर दाताओं की संख्या मौजूदा 3.5 करोड़ से बढाकर 15 करोड़ तक ले जाना संभव है. मंत्री ने कहा, ‘हमारा मानना है कि ग्राहकों की जेब में पैसा होना चाहिए. जब वे खर्च करेंगे तो उत्पादन बढेगा और पूरे देश का फायदा होगा.’ जेटली ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले बजट में आयकर छूट की सीमा दो लाख रुपये से बढाकर ढाई लाख रुपये कर दी थी. जेटली अपना पहला पूर्ण बजट अगले महीने लोकसभा में पेश करेंगे.
उन्होंने कहा कि आज दुनिया में निवेशकों के सामने तमाम विकल्प खुले हैं. ऐसे में देश में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए एक ऐसी कर प्रणाली की जरुरत है जो प्रतिस्पर्धी, आक्रामकता से मुक्त और संतुलित हो.’ वित्त मंत्री ने कहा कि शुरू में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए लोक व्यय बढाना जरुरी है क्योंकि पिछली संप्रग सरकार के समय इसका बडा नुकसान हो चुका है.
उन्होंने एक के बाद एक राज्यों में निवेश आकर्षित करने के लिए आयोजित किए जा रहे सम्मेलनों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास के एजेंडा को पुन: रास्ते पर लाने में कामयाब हुए हैं. जेटली ने कहा कि निवेशक उन्हीं राज्यों में जाएंगे जहां कारोबार का वातावरण अच्छा होगा. उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल में निवेशक सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं.
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