महंगी होंगी दूरसंचार सेवायें, सरकार लगा सकती है स्वच्छ भारत ”उपकर”
नयी दिल्ली : देश भर के फोन और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को अब अपने बिलों में इजाफे का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सरकार अब आपके फोन और इंटरनेट के बिलों में बढोतरी की तैयारी कर रही है. असल में, सरकार स्वच्छ भारत अभियान के लिये कोष जुटाने हेतु दूरसंचार सेवाओं पर उपकर लगाने पर […]
नयी दिल्ली : देश भर के फोन और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को अब अपने बिलों में इजाफे का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सरकार अब आपके फोन और इंटरनेट के बिलों में बढोतरी की तैयारी कर रही है. असल में, सरकार स्वच्छ भारत अभियान के लिये कोष जुटाने हेतु दूरसंचार सेवाओं पर उपकर लगाने पर विचार कर रही है.
समझा जाता है कि अटार्नी जनरल ने दूरसंचार विभाग को दी कानूनी सलाह में दूरसंचार स्पेक्ट्रम पर स्वच्छ भारत उपकर नहीं लगाने को कहा है, क्योंकि ऐसा कानून बनाकर ही किया जा सकता है.
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, अटार्नी जनरल ने कहा है कि दूरसंचार विभाग द्वारा स्वच्छ भारत कोष के लिए सरकारी आदेश के जरिये उपकर लगाना संभव नहीं है. इसके लिए कानूनी समर्थन की जरुरत होगी. दूरसंचार विभाग ने अटार्नी जनरल से इस बारे में राय मांगी थी कि क्या स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क पर भारतीय टेलीग्राफ कानून में सरकारी आदेश के जरिये स्वच्छ भारत उपकर लगाया जा सकता है. यह दूरसंचार आपरेटरों द्वारा अदा किए जाने वाला सालाना शुल्क है.
अटार्नी जनरल की कानूनी राय है कि बिना कानून के इसे लगाना उचित नहीं होगा और यह संविधान की धारा 265 के प्रतिकूल होगा. सूत्र ने कहा कि अटार्नी जनरल ने कहा है कि बिना कानून पारित किए उपकर लगाना गैरकानूनी होगा. उन्होंने इस प्रस्ताव का नकारात्मक जवाब दिया है. हालांकि, शिक्षा उपकर की भांति ही स्वच्छ भारत उपकर लगाने के सवाल पर अटार्नी जनरल ने अनुकूल राय दी है.
सूत्र ने बताया कि अटार्नी जनरल की राय है कि दूरसंचार सेवा एक मान्यता प्राप्त सेवा है और यह वित्त कानून के तहत आती है. इस पर सेवा कर, शिक्षा उपकर तथा उच्च शिक्षा उपकर पहले से लगता है. ऐसे में यह उचित होगा कि वित्त कानून में संशोधन कर इसमें तीसरे प्रकार के उपकर को शामिल किया जाए.
दूरसंचार उद्योग के संगठन सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने इस प्रकार के किसी उपकर का विरोध किया है. सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने कहा, हम इसके पक्ष में नहीं हैं. यह उपभोक्ताओं पर बोझ बढाएगा तथा सरकार के उचित मूल्य पर सेवा देने के एजेंडा के खिलाफ होगा, जबकि वह ग्रामीण ब्रॉडबैंड व इंटरनेट पहुंच बढाने की बात कर रही है.
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