वालमार्ट ने अमेरिका में भारत केंद्रित लाबिंग गतिविधियां बंद की

वाशिंगटन, नई दिल्ली: वैश्विक खुदरा कंपनी वालमार्ट ने भारत–केंद्रित मुद्दों पर अमेरिकी सांसदों के बीच लाबिंग रोक दी हैं जब कि कंपनी ने इससे पहले भारतीय खुदरा बाजार बाजार में प्रवेश पाने के लिए लगातार लगभग पांच साल तक उनका जुटाने के लिए लाबिंग की थी. कंपनी ने यह खुलासा ऐसे समय में किया है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2013 3:35 PM

वाशिंगटन, नई दिल्ली: वैश्विक खुदरा कंपनी वालमार्ट ने भारतकेंद्रित मुद्दों पर अमेरिकी सांसदों के बीच लाबिंग रोक दी हैं जब कि कंपनी ने इससे पहले भारतीय खुदरा बाजार बाजार में प्रवेश पाने के लिए लगातार लगभग पांच साल तक उनका जुटाने के लिए लाबिंग की थी.

कंपनी ने यह खुलासा ऐसे समय में किया है जबकि भारत सरकार इस मुद्दे पर उसकी गतिविधियों के बारे में एक रपट तैयार कर रही है. रपट अगले महीने संसद में पेश की जानी है. भारत सरकार ने इस अमेरिकी कंपनी द्वारा भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए लाबिंग के मामले की जांच करवाई थी.

वालमार्ट तथा इसके लिए लाबिंग करने वाली पंजीकृत फर्मों की ओर से अमेरिकी सांसद दोनों सदनोंसीनेट और प्रतिनिधि सभा के समक्ष प्रस्तुत ताजा सूचना रपटा दाखिल की है उसके अनुसार कंपनी ने इस वर्ष 30 जून को समाप्त दूसरी तिमाही में विभिन्न लाबिंग गतिविधियों पर 20 लाख डालर (लगभग 12 करोड़ रुपये) खर्च किए.

इस रपट में जिन तीन दर्ज मुद्दों पर लाबिंग किए जाने की सूचना दी गयी है उनमें भारत केंद्रित कोई मामला शामिल नहीं है. जबकि इससे पूर्व की तिमाही :जनवरी मार्च 2013: तथा इससे पहले की अवधियों से संबंधित सूचनार्थ रपटों में भारत में एफडीआई से जुड़ी चर्चाओं को लाबिंग से जुड़े मुद्दों में रखा गया था.

कंपनी ने इससे पहले की तिमाही में खुद या अन्य पंजीकृत फर्मों के साथ लाबिंग पर 20 लाख डालर खर्च किए थे. कंपनी की ओर से प्रस्तुत ऐसी रपटों में कम से कम 2008 से तो भारत में एफडीआई नियमों से जुड़ा मुद्दा आता ही रहा था. अभी यह पता नहीं चला है कि कंपनी ने भारत से जुड़े मुद्दों पर लाबिंग पर स्थाई रोक लगा दी है और यह अस्थाई है.

वालमार्ट तथा अनेक अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में स्टोर खोलने के लिए सालों साल से प्रयास कर रही हैं. भारत सरकार ने अब बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपननियों को 51 प्रतिशत तक शेयर पूंजी लगाने की छूट दे दी है जबकि इस विषय में देश में कड़ा राजनीतिक विरोध था. अब भी बहु ब्रांड खुदरा एफडीआई पर बिक्री के सामान की खरीद और सहायक ढांचे में निवेश आदि से संबंधित कई पाबंदियां हैं.

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