केंद्र और रिलायंस को उच्चतम न्यायालय का नोटिस

नयी दिल्ली : प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाने का सरकार का विवादास्पद निर्णय आज उस समय न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गया जब उच्चतम न्यायालय ने इस प्रकरण पर विचार करने का निश्चय करते हुए एक जनहित याचिका पर केंद्र और रिलायंस इंडस्टरीज लि को नोटिस जारी कर दिये. प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2013 5:29 PM

नयी दिल्ली : प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाने का सरकार का विवादास्पद निर्णय आज उस समय न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गया जब उच्चतम न्यायालय ने इस प्रकरण पर विचार करने का निश्चय करते हुए एक जनहित याचिका पर केंद्र और रिलायंस इंडस्टरीज लि को नोटिस जारी कर दिये.

प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कम्युनिस्ट नेता गुरुदास दासगुप्ता की जनहित याचिका पर केंद्र और रिलायंस इंडस्टरीज से जवाब तलब किये हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाते समय सरकार ने गंभीरता से गौर नहीं कया है.

न्यायालय ने कहा कि एक वरिष्ठ सांसद ने यह मसला उठाया है जिस पर विचार की आवश्यकता है और यह याचिका प्रारम्भिक चरण में ही अस्वीकार नहीं की जा सकती है. न्यायालय ने संबंधित पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुये यह जनहित याचिका 6 सितंबर को सुनवाई लिये सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.

सरकार ने एक अप्रैल, 2014 से प्राकृतिक गैस की कीमत 4.2 अमेरिकी डालर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट से बढ़ाकर 8.4 एमबीटीयू करने का निर्णय किया है. गैस की नयी कीमत 8.4 अमेरिकी डालर की हर तीसरे महीने समीक्षा की जायेगी और यह मूल्य सभी गैस उत्पादकों पर एक समान रुप से लागू होगी. इसमें ऑयल इंडिया लि और ओएनजीसी तथा रिलायंस इंडिस्टरीज लि जैसी निजी कंपनियां शामिल हैं.

कम्युनिस्ट सांसद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गंसाल्विज ने कहा कि गैस की कीमतें बढ़ाने के निर्णय की समीक्षा की आवश्यकता है क्योंकि पेट्रोलियम मंत्रालय ने अपने पूर्ववर्ती मंत्री और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह को दरकिनार कर दिया है.

न्यायालय से बाहर निकलने पर दासगुप्ता ने कहा कि चूंकि उनकी शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्रवाई करने में विफल रहे, इसीलिए उन्होंने यह जनहित याचिका दायर की है.

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