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दुनिया भर में IBM में भारी छंटनी की अटकलें, भारत पर भी पड़ सकता है असर
IBM ये वो नाम है जिसने कंप्यूटर और आई.टी. उद्योग में हमेशा अपनी धमक कायम रखी है. चाहे वो आइबीएम के सुपर कम्प्यूटर रहे हों या फिर आइबीएम के सर्वर और अन्य उत्पाद. इसके अलावा डाटा सुरक्षा और अन्य सेवाओं से भी आइबीएम हमेशा सुर्खियों में रही है लेकिन अब लगता है आइबीएम में सब […]
IBM ये वो नाम है जिसने कंप्यूटर और आई.टी. उद्योग में हमेशा अपनी धमक कायम रखी है. चाहे वो आइबीएम के सुपर कम्प्यूटर रहे हों या फिर आइबीएम के सर्वर और अन्य उत्पाद. इसके अलावा डाटा सुरक्षा और अन्य सेवाओं से भी आइबीएम हमेशा सुर्खियों में रही है लेकिन अब लगता है आइबीएम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
सबसे पहले, ‘फोर्ब्स.कॉम’ में एक ब्लॉगर के हवाले से ये खबर छपी कि आइबीएम के अन्दर एक गोपनीय प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसका नाम ‘प्रोजेक्ट क्रोम’ रखा गया है. रोबर्ट क्रिन्गेली नामके इस ब्लॉगर ने ये खुलासा किया कि दरअसल ये प्रोजेक्ट क्रोम, आइबीएम के कर्मचारियों की छंटनी से सम्बंधित है और फरवरी के अंत तक आइबीएम दुनियाभर से अपनी कुल क्षमता के 26% कर्मचारियों की छंटनी करने वाला है.
अगर आइबीएम के कुल कर्मचारियों के हिसाब से देखें तो ये आंकड़ा करीब 1,10,000 के करीब हो जायेगा. फोर्ब्स की इस खबर में कहा गया है कि इसका असली कारण आइबीएम कंपनी को लगातार हो रहा घाटा है. ये बात सही है कि तीन साल पहले तक आइबीएम का मुनाफा जहां 107 अरब डॉलर था, वहीं साल 2004 में ये गिरकर 93 अरब डॉलर हो गया.
इस खबर के छापने के बाद ‘द गार्जियन’ ने आइबीएम के हवाले से एक और खबर छापी, जिसमे आइबीएम ने सफाई देते हुए कहा है कि कंपनी के अन्दर दुनियाभर में होने वाली छंटनी की खबर पूरी तरह से बकवास है. कंपनी ने पिछले साल 45000 नई नौकरियां बहाल की थीं और इस साल भी आइबीएम 15000 नए लोगों को नौकरियां देने की तैयारी में है.
इधर भारत में ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक, भारत में आइबीएम के कम से कम 5000 कर्मचारियों की नौकरियां जा सकती हैं क्योंकि आइबीएम अपना घाटा कम करने कि कोशिश में है. इसके लिए कंपनी अब अपने परंपरागत काम की जगह नई टेक्नोलॉजी पर काम करने का मन बना रही है. आइबीएम अब क्लाउड कम्प्यूटिंग, मोबाइल और एनालिसिस जैसे क्षेत्रों में अपने पैर पसारने वाली है. पिछले तीन सालों से आइबीएम के मुनाफे में हो रही भारी गिरावट इसका सबसे प्रमुख कारण है.
दुनियाभर में आइबीएम के करीब 4 लाख कर्मचारी हैं, जिनमें से अकेले भारत में ही 1.3 लाख लोग आइबीएम में नौकरी करते हैं. हाल के वर्षों में आइबीएम ने अमेरिका में अपने कर्मचारियों की संख्या को 1.33 लाख से घटाकर महज 83000 कर दिया है और ऐसे में भारत में ही अब आइबीएम के कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है. हालांकि, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ये भी कहा है कि इस विषय बार तमाम कोशिशों के बावजूद आइबीएम की तरफ से कोई जवाब उसे अब तक नहीं दिया गया है.
फिर भी, जिस तरह से आइबीएम को लेकर खबरें सामने आ रही हैं, उससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आइबीएम का प्रोजेक्ट क्रोम वाकई इसके हजारों कर्मचारियों के सर पर तलवार गिरा सकता है और सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाली जगह होने के कारण, भारत में इसका बड़ा असर पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता.
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