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नये पैमाने के आधार पर अब 1,11,000 अरब रुपये की हो जाएगी भारतीय अर्थव्यवस्था

नयी दिल्ली : भारत की राष्ट्रीय आय की गणना के लिये तुलनात्मक आधार वर्ष में बदलाव से 2013-14 का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढकर 1,11,700 अरब रुपये हो जाएगा. इंडिया रेटिंग्स की एक ताजा रपट में यह बताया गया है. 2012-13 में देश का जीडीपी 93,890 अरब रुपये था. आधार वर्ष में बदलाव गणना प्रक्रिया […]

नयी दिल्ली : भारत की राष्ट्रीय आय की गणना के लिये तुलनात्मक आधार वर्ष में बदलाव से 2013-14 का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढकर 1,11,700 अरब रुपये हो जाएगा. इंडिया रेटिंग्स की एक ताजा रपट में यह बताया गया है. 2012-13 में देश का जीडीपी 93,890 अरब रुपये था.
आधार वर्ष में बदलाव गणना प्रक्रिया की एक सामान्य बात है और अन्य देशों में भी ऐसा किया जाता है. रेटिंग कंपनी ने आज एक विज्ञप्ति में कहा, इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि आधार वर्ष बदलकर 2011-12 होने से भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वित्त वर्ष 2013-14 में 6 प्रतिशत बढकर 1,11,700 अरब रुपये (करीब 1800 अरब डालर) का हो जाएगा.
अभी तक राष्ट्रीय आय का लेखा जोखा 2004-05 की कीमतों के आधार पर चल रहा है. इंडिया रेटिंग्स के अनुसार भारत का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2013-14 में कम होकर जीडीपी का 4.3 प्रतिशत हो जाएगा, जो 2013-14 में 4.6 प्रतिशत था. साथ ही चालू खाते का घाटा (कैड) कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.6 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है.
एजेंसी का मानना है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था 2019-20 तक 3000 अरब डालर की हो जाएगी. वहीं वित्त वर्ष 2004-2005 के आधार को बनाये रखा जाए तो यह स्तर एक साल बाद 2020-21 में प्राप्त होगा.
अर्थव्यवस्था का ज्यादा वास्तविक रुप प्रस्तुत करने के लिये सरकार की 2011-12 के आधार वर्ष के साथ राष्ट्रीय आय की नई श्रृंखला जारी किये जाने की योजना है. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी का आधार वर्ष हर पांच साल में बदलने की सिफारिश की है.

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