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ओबामा की यात्रा से अमेरिकी निवेशकों के एजेंडा में भारत की अहमियत बढी : जेटली
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की यात्रा से नये व्यावसायिक रिश्ते बनाने में मदद मिली है और विश्वास जताया कि इससे अमेरिकी व्यवसायियों का भारत में निवेश बढेगा. जेटली ने फेसबुक पर अपने लेख ‘राष्ट्रपति ओबामा, दावोस और उसके पश्चात’ शीर्षक में कहा है, […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की यात्रा से नये व्यावसायिक रिश्ते बनाने में मदद मिली है और विश्वास जताया कि इससे अमेरिकी व्यवसायियों का भारत में निवेश बढेगा.
जेटली ने फेसबुक पर अपने लेख ‘राष्ट्रपति ओबामा, दावोस और उसके पश्चात’ शीर्षक में कहा है, भारत और अमेरिकी सीईओ की बैठक में भारत के प्रति मजबूत विश्वास दिखा. इसमें अमेरिकी व्यवसायियों की भारत में निवेश की बलवती इच्छा दिखाई दी. व्यवसायियों ने जो भी सवाल किये उनमें ज्यादातर व्यवसाय में आसानी से जुडे थे. उन्होंने कहा, अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मजबूती आने के साथ अमेरिकी कंपनियों के पास निवेश के लिए काफी धन पडा है. वे निवेश के मौके देख रहीं हैं. भारत उनके एजेंडे में सबसे ऊपर दिखाई देता है. भारत-अमेरिकी कंपनियों के सीईओ फोरम की बैठक को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका की राष्ट्रपति बराक ओबामा दोनों ने ही संबोधित किया. इस बैठक का आयोजन ओबामा की तीन दिवसीय भारत यात्र के दौरान 26 जनवरी को किया गया.
जेटली ने कहा, राष्ट्रपति बराक ओबामा की यात्रा से भारत के साथ नये वाणिज्यिक रिश्ते बनाने में मदद मिली है. वित्त मंत्री ने कहा कि जहां एक तरफ दुनिया की कई प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थायें कठिन चुनौतियों का सामना कर रही हैं, ऐसे में भारत आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढाने की राह पर बढता दिख रहा है. फिर से उम्मीद जगी है. हमें किसी तरह के व्यवधान अथवा शांत बैठे रहकर इस अवसर को हाथ निकलने नहीं दे सकते. दावोस में इस तरह का स्पष्ट और जोरदार संदेश मिला है. उन्होंने कहा, भारत को और अधिक संसाधन चाहिये, हमारे घरेलू संसाधन पर्याप्त नहीं हैं. हमारी पूंजी की लागत महंगी है. पूरी दुनिया निवेश के लिये मौका देख रही है. ऐसे विकल्प ज्यादा नहीं है जो भारत की तुलना में अधिक आकर्षक हों.
वित्त मंत्री ने विश्व आर्थिक मंच की बैठक के बारे में कहा, भारत केन्द्रित बैठकों में काफी भीड रही. इन बैठकों में शामिल होने के लिये ज्यादा से ज्यादा लोग अपना पंजीकरण कराना चाहते थे लेकिन जब उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाता था तो उन्हें निराशा हुई. दावोस बैठक में अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बडा प्रतिनिधिमंडल था. जेटली ने कहा कि इस साल इस बैठक में माहौल पूरी तरह बदला हुआ था.
उन्होंने कहा कि सरकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे नेता, नीति निर्माता और बडी कंपनियों के प्रमुख ज्यादा से ज्यादा भारत के साथ बैठकें करना चाह रहे थे. हमारे अपने उद्योगपति सम्मेलन में इस बार नये विश्वास के साथ सिर ऊंचा कर भागीदारी कर रहे थे.
वित्त मंत्री ने कहा सम्मेलन में जो उम्मीद दिखाई दे रही थी उसमें इस बात को लेकर कुछ सतर्कता दिखाई दी कि लोग यह जानना चाह रहे थे कि क्या भारत अपने वादों को निभा सकेगा और जो अध्यादेश जारी किये गये हैं वह कानून में परिवर्तित होंगे. उन्होंने कहा, क्या अवरोध खडा करने वाले भारत के प्रगति की राह पर बढने की गति को रोकने में कामयाब होंगे? ज्यादातर सवाल इसी के इर्दगिर्द रहे.
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