चालू खाते का घाटा 2014-15 में 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान : आरबीआइ
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार चालू खाते का घाटा मार्च में समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 प्रतिशत के बराबर आने का अनुमान है. पेट्रोलियम तथा सोना आयात में नरमी से घाटा कम करने में मदद मिलेगी. एक निश्चिम अवधि में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति और […]
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार चालू खाते का घाटा मार्च में समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 प्रतिशत के बराबर आने का अनुमान है. पेट्रोलियम तथा सोना आयात में नरमी से घाटा कम करने में मदद मिलेगी.
एक निश्चिम अवधि में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति और खर्च का अंतर चालू खाते के घाटे की स्थिति को तय करता है. 2013-14 में यह सकल घरेलू उत्पाद के 1.7 प्रतिशत (32.4 अरब डालर) के बराबर था जबकि उसके एक साल पहले 2012-13 में यह रिकार्ड 4.7 प्रतिशत (88 अरब डालर) तक पहुंच गया था.
आरबीआई ने आज जारी अपनी मौद्रिक नीति की छठी द्वैमासिक समीक्षा में कहा, वित्त वर्ष 2014-15 के लिए फिलहाल चालू खाते का घाटा (कैड) सकल घरेलू उत्पाद के 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पिछले अनुमानों के काफी कम है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट से पेट्रोलियम आयल ल्यूब्रिकेंट (पीओएल) आयात में उल्लेखनीय रुप से कमी आई. सितंबर-नवंबर के दौरान मौसमी तेजी के बाद अब सोने का आयात भी कम हुआ है.
इसके अलावा गैर-तेल गैर-स्वर्ण आयात वृद्धि मजबूत रही और इसमें बढत हुई. अप्रैल से सितंबर की तिमाही में चालू खाते का घाटा 1.9 प्रतिशत रहा जो 2013-14 की इसी तिमाही में दर्ज 3.1 प्रतिशत से कम है.
आरबीआई ने कहा, कैड के लिए धन की व्यवस्था पूंजी प्रवाह के जरिए हो रही है. इसमें मुख्य तौर पर पोर्टफोलियो निवेश में वृद्धि का हाथ है. इसके अलावा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और वाह्य वाणिज्यिक रिण से भी मदद मिली.