जीडीपी में मूल्यवर्धित वस्तुओं की हिस्सेदारी दोगुनी कर 25 प्रतिशत कर सकता है भारत

नयी दिल्ली : प्रतिस्पर्धा, ऑडिट में सुधार लाकर भारत करीब दो दशकों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मूल्यवर्धित विनिर्मित वस्तुओं की हिस्सेदारी बढाकर 25 प्रतिशत कर सकता है. परामर्शक कंपनी पीडब्ल्यूसी ने आज यह बात कही. पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में जीडीपी में फिलहाल मूल्यवर्धित विनिर्माण की हिस्सेदारी 12 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2015 6:22 PM
नयी दिल्ली : प्रतिस्पर्धा, ऑडिट में सुधार लाकर भारत करीब दो दशकों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मूल्यवर्धित विनिर्मित वस्तुओं की हिस्सेदारी बढाकर 25 प्रतिशत कर सकता है. परामर्शक कंपनी पीडब्ल्यूसी ने आज यह बात कही.
पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में जीडीपी में फिलहाल मूल्यवर्धित विनिर्माण की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है. यदि भारत विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा क्षमता बढाने में सफल रहता है, तो यह हिस्सेदारी 2024 तक बढकर 20 प्रतिशत और 2034 तक 25 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. इसमें कहा गया है कि निम्न से उच्च प्रौद्योगिकी वाले उद्योगों की ओर ध्यान देना इस दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा. भारत को विनिर्माण क्षेत्र में मौजूदा नियामकीय अडचनों को हटाना होगा, कौशल आधार तैयार करना होगा और विदेशी लाइसेंसिंग तथा विनिर्माण के क्षेत्र में विशेष उपाय करने होंगे.
इसमें यह भी कहा गया है कि भारत में शोध एवं विकास में निवेश अभी जीडीपी का 0.8 प्रतिशत है, इसे भी 2034 तक बढाकर 2.4 प्रतिशत करना होगा. रिपोर्ट कहती है कि भारत को मूल्यवर्धित विनिर्माण क्षेत्र में अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पहले नियामकीय अडचनों को दूर करना होगा. इसकी वजह से भारत में कारोबार करना काफी मुश्किल है.
इसके अलावा भूमि, श्रम व पर्यावरण से संबंधित नीतियों का भी सरलीकरण करना होगा. कारोबार के लिए परमिट को एकल खिडकी प्रणाली बनानी होगी.

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