जीडीपी आधार वर्ष बदलने से राजकोषीय घाटा काबू करने में मदद नहीं मिलेगी

नयी दिल्ली : आर्थिक वृद्धि की गणना के लिए 2011-12 को आधार वर्ष के तौर पर लेने के साथ राष्ट्रीय खातों की नयी सीरीज से सरकार को राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.1 प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर रखने में कोई मदद नहीं मिलेगी. सीएसओ द्वारा आज जारी किए गए आंकडों से पता चलता है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2015 11:52 PM

नयी दिल्ली : आर्थिक वृद्धि की गणना के लिए 2011-12 को आधार वर्ष के तौर पर लेने के साथ राष्ट्रीय खातों की नयी सीरीज से सरकार को राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.1 प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर रखने में कोई मदद नहीं मिलेगी.

सीएसओ द्वारा आज जारी किए गए आंकडों से पता चलता है कि आधार वर्ष बदलने से 2014-15 के दौरान वर्तमान मूल्यों पर अर्थव्यवस्था का आकार या जीडीपी 126.54 लाख करोड रुपये रहने का अनुमान है जोकि 128.76 लाख करोड रुपये के बजट अनुमान से कम है.

इक्रा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘सामान्य जीडीपी 126 लाख करोड रुपये रहने का अनुमान जताया गया है जोकि केंद्रीय बजट में अनुमानित स्तर से कम है. इससे राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.1 प्रतिशत के भीतर रखने का काम थोडा मुश्किल होगा.’

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