डीएलएफ के खिलाफ सीसीआई ने दिया नयी जांच का आदेश

नयी दिल्ली : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बाजार में मजबूत स्थिति का कथित तौर पर बेजा इस्तेमाल करने के संबंध में डीएलएफ के खिलाफ नयी जांच का आदेश दिया है. आयोग ने एक नये मामले में रीयल एस्टेट कंपनी द्वारा प्रथम दृष्टया उचित व्यापार नियमों का उल्लंघन पाया. यह मामला कंपनी द्वारा गुडगांव में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2015 1:09 AM

नयी दिल्ली : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बाजार में मजबूत स्थिति का कथित तौर पर बेजा इस्तेमाल करने के संबंध में डीएलएफ के खिलाफ नयी जांच का आदेश दिया है. आयोग ने एक नये मामले में रीयल एस्टेट कंपनी द्वारा प्रथम दृष्टया उचित व्यापार नियमों का उल्लंघन पाया.

यह मामला कंपनी द्वारा गुडगांव में रिहायशी इकाइयों के विकास एवं उनकी बिक्री से जुडा है. सीसीआई द्वारा महानिदेशक से डीएलएफ और डीएलएफ न्यू गुडगांव होम्स डेवलपर्स के खिलाफ नयी जांच करने के आदेश पर कंपनी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी.

डीएलएफ न्यू गुडगांव होम्स डेवलपर्स का डीएलएफ की एक अन्य अनुषंगी डीएलएफ होम डेवपलपर्स लिमिटेड के साथ विलय कर दिया गया है. इससे पहले भी, डीएलएफ प्रतिस्पर्धा आयोग के जांच के दायरे में आ चुकी है. आयोग ने 2011 में उचित व्यापार नियमों के उल्लंघन के लिए कंपनी पर 630 करोड रुपये का भारी जुर्माना लगाया था जिसे कंपनी द्वारा प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी गई और न्यायाधिकरण ने सीसीआई के आदेश को सही ठहराया जिसके बाद कंपनी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

नयी जांच का आदेश देते हुए आयोग ने कहा, ह्यह्य प्रथम दृष्टया डीएलएफ और डीएलएफ न्यू गुडगांव होम्स डेवलपर्स का आचरण प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लंघन करने वाला प्रतीत होता है. आयोग ने महानिदेशक को कारोबार के व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों की भूमिका की जांच करने का भी निर्देश दिया है.’

महानिदेशक सीसीआई में जांच का काम करता है. यह मामला गुडगांव में ‘डीएलएफ गार्डन सिटी’ में रिहायशी टाउनशिप ‘रीगल गार्डन्स’ में अपार्टमेंट के संबंध में खरीदारों के समझौते में कथित तौर पर एकतरफा उपबंधों से जुडा है. आयोग ने अपने ताजा आदेश में कहा कि इस तरह के मामले 2007 से 2010 के दौरान खरीदारों के साथ समझौते से जुडे हैं.

चार फरवरी को लिखे गए और आज जारी किए गए आदेश में कहा गया है, ‘समझौते के कुछ नियम कष्टदायक और एकतरफा प्रतीत होते हैं और इनसे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि कैसे विपक्षी पार्टी 2 (डीएलएफ न्यू गुडगांव होम्स डेवलपर्स) ने समझौते को अपने पक्ष में करने के लिए अपनी मजबूत बाजार स्थिति का दुरपयोग किया.’

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