मुंबई : भारत में सोने की मांग 2014 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 14 प्रतिशत घटकर 842.6 टन रही. विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के मुताबिक ऐसा मुख्य तौर पर आयात पर प्रतिबंध के कारण हुआ. डब्ल्यूजीसी की ‘सोने की मांग का रुझान 2014’ रपट में कहा गया कि 2013 में कुल मांग 974.8 टन रही. मूल्य के लिहाज से सोने की मांग 2014 में 19 प्रतिशत घटकर 2,08,979.2 करोड रुपये रही जो 2013 में 2,57,211.4 करोड रुपये रही.
भारत में कुल जेवरात की मांग 2014 में आठ प्रतिशत बढकर 662.1 टन रही जो 2013 में 612.7 टन थी. समांतर बाजार (ग्रे मार्केट) को मिलाकर कुल आयात 769 टन रहा जो 2013 में 825 टन था. डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमसुंदरम पीआर ने बताया ‘ग्रे मार्केट से करीब 175 टन सोने की आपूर्ति हुई. यदि इस साल नीति, शुल्क कटौती और पारदर्शी मूल्य निर्धारण में छूट दी जाती है तो ग्रे मार्केट से होने वाली सोने की आपूर्ति में उल्लेखनीय कमी होगी.’
गौरतलब है कि 2014 में कुल निवेश मांग 50 प्रतिशत घटकर 180.6 टन रह गई जो 2013 में 362.1 टन थी. रपट में कहा गया कि मूल्य के लिहाज से सोने में निवेश की मांग 53 प्रतिशत घटकर 44,847.1 करोड रुपये रह गई जो 2013 में 95,460.8 करोड रुपये था. सोमसुंदरम ने कहा कि निवेश मांग मुख्य तौर पर सरकारी नीतियों के कारण घटी जिनके कारण जौहरियों ने छडें और सिक्के नहीं बेचे.
वैश्विक स्तर पर सोने की मांग 2014 में चार प्रतिशत घटी
दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर सोने की मांग चार प्रतिशत घटकर 3,924 टन रह गई जबकि 2013 इस लिहाज से बेहद उल्लेखनीय वर्ष रहा जिसमें उपभोक्ता मांग रिकार्ड उच्च स्तर पर थी. यह बात विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने कही. डब्ल्यूजीसी की रपट में कहा गया कि 2013 में सोने की कुल मांग 4,087.6 टन थी.
रपट के मुताबिक सोने के बाजार के लिए 2014 स्थिरीकरण और नव-प्रवर्तन का रहा जिसमें सोने की सालाना मांग सिर्फ चार प्रतिशत घटकर 3,924 टन रही. डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेश (निवेश रणनीति) मार्कस ग्रब ने कहा कि सरकार द्वारा सोने के आयात पर प्रतिबंध के बावजूद यह भारतीय जेवरात के लिए उल्लेखनीय वर्ष रहा जिससे इस देश को सोने के प्रति लगाव जाहिर होता है.
उन्होंने कहा कि इस बीच चीन की सोने की मांग 2011 और 2012 के स्तर पर आ गई क्योंकि उपभोक्ताओं और निवेशकों ने 2013 में इकट्ठा सोने का जज्ब करने में समय लिया. रपट के मुताबिक सोने की मांग का सबसे बडा अवयव था जेवरात. भारत की जेवरात की मांग आठ प्रतिशत बढकर 662 टन रही जो जेवरात की मांग के लिहाज से 1995 से अब तक का सबसे अच्छा साल रहा.
इधर चीन की जेवरात की मांग 33 प्रतिशत घटी लेकिन दूसरा सबसे अच्छा रिकार्ड रहा. अमेरिका और ब्रिटेन में जेवरात की मांग बहुत मजबूत रही. आर्थिक प्रदर्शन में सुधार के मद्देजर ब्रिटेन में जेवरात की मांग 18 प्रतिशत बढकर 28 टन और अमेरिका में नौ प्रतिशत बढकर 132 टन रही.
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