बर्न-नयी दिल्ली : काले धन के खिलाफ अपनी लडाई में भारत को स्विट्जरलैंड से ‘स्वत: सूचनाओं के आदान प्रदान’ के ढांचे के तहत भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी प्राप्त करने के लिए 2018 तक इंतजार करना होगा. वैश्विक निकाय आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान का ढांचा तैयार किया है. वैश्विक ढांचे के तहत भारत सहित करीब 40 देशों ने इसे जल्द से जल्द अपनाने की सहमति दी है.
स्विट्जरलैंड सरकार की नई रिपोर्ट के अनुसार, ‘जल्द इसे अपनाने वाले समूह की योजना 2016 से आंकडे संग्रहीत करने की है और उसकी पहली बार सितंबर, 2017 में सूचनाओं के आदान प्रदान की योजना है.’ हालांकि, इस ढांचे के तहत स्विट्जरलैंड पहली बार सूचनाओं का आदान प्रदान साल 2018 में करेगा. रिपोर्ट के अनुसार, इस ढांचे के तहत 58 देश पहली बार 2017 में सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे. इसके बाद 2018 में 35 अन्य देश सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे.
भारत पहले आदान प्रदान 2017 समूह का हिस्सा है. उसे स्विट्जरलैंड से सूचनाओं के लिए 2018 तक इंतजार करना होगा, क्योंकि वह इसके दूसरे समूह का हिस्सा है. इसके तहत जिन सूचनाओं को साझा किया जाएगा उनमें खाता नंबर, नाम, पता, जन्मतिथि, कर पहचान संख्या, ब्याज और लाभांश, कुछ बीमा पालिसियों से प्राप्तियां, खाते में क्रेडिट बैलेंस के अलावा वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्तियां शामिल हैं.
आदान प्रदान की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यदि किसी देश ए के करदाता का देश बी में खाता है, तो बैंक देश बी के अधिकारियों को वित्तीय खाते का ब्योरा देगा, जो स्वत: तरीके से उसे देश ए के अधिकारियों को भेज देंगे.’ एक बार यह व्यवस्था लागू होने के बाद भारतीय अधिकारियों को विदेशी में उसके नागरिकों द्वारा जमा राशि को वापस लाने व उस पर कर लगाने का मजबूत आधार मिलेगा.
कालेधन के प्रवाह पर अंकुश लगाने तथा विदेशों में जमा बेहिसाबी धन पर कर लगाने के लिए भारत ने अपने प्रयास बढाए हैं. इसके तहत उसने विभिन्न देशों के साथ कर संधियों पर बातचीत फिर शुरू की है. भारत को उम्मीद है कि सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान से इस पर अंकुश लाने में मदद मिलेगी. दुनिया के कई कर पनाहगाह देशों में जमा काले धन पर अंकुश के लिए कदम उठा रहे हैं.
भविष्य में काले धन पर अंकुश के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि दुनिया सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान की दिशा में आगे बढ रही है. विदेशों में काले धन पर अंकुश के लिए भारत ने अपने प्रयास तेज किए हैं. मौजूदा कानून सरकार को 16 साल तक पुराने कर आकलन मामलों को खोलने की अनुमति देता है. विदेशों में बेहिसाबी धन पर कर लगाने के मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय कर अधिकारियों के समक्ष सबसे बडी चुनौती मामले को मजबूती से पेश करने की है.
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