इपीएफओ में उम्र सीमा होगी 60 साल

नयी दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी मंडल की गुरुवार की बैठक में कर्मचारी पेंशन योजना (इपीएस-95) के तहत आयु सीमा को 58 से बढ़ा कर 60 साल करने पर विचार हो सकता है. पेंशन कार्यान्वयन समिति (पीआइसी) ने सिफारिश की है कि बीमांककों (एक्चयूरी) को उन लोगों के लिए प्रोत्साहन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2015 3:10 AM

नयी दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी मंडल की गुरुवार की बैठक में कर्मचारी पेंशन योजना (इपीएस-95) के तहत आयु सीमा को 58 से बढ़ा कर 60 साल करने पर विचार हो सकता है. पेंशन कार्यान्वयन समिति (पीआइसी) ने सिफारिश की है कि बीमांककों (एक्चयूरी) को उन लोगों के लिए प्रोत्साहन देते हुए मॉडल तैयार करने चाहिए, जो 60 साल की आयु पर पेंशन लाभ लेना चाहते हैं. इससे पेंशन कोष का घाटा 27,607 करोड़ रुपये तक कम होगा और सदस्यों के लिए पेंशन लाभ बढ़ेगा. समिति ने अल्पसेवा पेंशन पात्रता आयु को भी 50 से बढ़ा कर 55 साल करने का प्रस्ताव किया है.

लंबी अवधि में पीपीएफ सर्वश्रेष्ठ

यह सवाल अक्सर उठता रहता है कि जो लोग शेयर बाजार का जोखिम नहीं लेना चाहते, वे लंबी अवधि के लिए कहां निवेश करें. ऐसे लोग अमूमन एनएससी, बीमा और एफडी को तवज्जो देते हैं. वहीं एक विकल्प की अक्सर अनदेखी की जाती है और वह है पीपीएफ, यानी पब्लिक प्राविडेंट फंड (सार्वजनिक भविष्य निधि). लेकिन, आज अगर हम विभिन्न दीर्घकालिक निवेश योजनाओं पर मिलनेवाले ब्याज और उनसे जुड़े अन्य फायदों को तुलनात्मक रूप से देखें, तो पीपीएफ सबसे बढ़िया नजर आता है.

क्या है पीपीएफ?

पीपीएफ भारत सरकार की छोटी बचत की योजनाओं के तहत आता है. आम तौर पर भविष्य निधि (पीएफ) का फायदा केवल नौकरीपेशा लोगों को मिलता है. लेकिन पीपीएफ सभी के लिए है, चाहे वह नौकरी करता हो या फिर अपना रोजगार. अगर आप इपीएफ, जीपीएफ या किसी अन्य भविष्य निधि के दायरे में हैं, तो भी आप पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं. पीपीएफ का मकसद है निवेशक को कामकाज की उम्र खत्म होने पर सहारा देना. पीपीएफ निवेशकों का पैसा सरकारी बांड में लगाया जाता है, जिससे होनेवाली आय से सरकार हर साल ब्याज तय करती है. अभी ब्याज दर 8.7 फीसदी सालाना है. पीपीएफ खाता डाकघर और बैंकों में खोला जा सकता है. पहले यह खाता सिर्फ एसबीआइ में ही खुल सकता था, मगर अब अन्य बैंक भी यह सुविधा दे रहे हैं.

15 साल की योजना

पीपीएफ खाता संयुक्त रूप से नहीं खोला जा सकता. इसे स्वयं अथवा नाबालिग बच्चे के नाम से भी खोला जा सकता है. इसे पति-पत्नी दोनों के नाम से अलग-अलग भी खोला जा सकता है. यह खाता 15 वर्षो के लिए होता है. लेकिन 15 वर्षो के बाद भी इसे 5-5 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है. खाताधारकों के लिए कोई उम्रसीमा तय नहीं है.

न्यूनतम व अधिकतम जमा

पीपीएफ खाते में प्रतिवर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किये जा सकते हैं. यह रकम एकमुश्त अथवा अधिकतम 12 किस्तों में जमा की जा सकती है. प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये जमा करना आवश्यक है. अगर आप साल में 500 रुपये भी जमा नहीं करते हैं, तो खाते को निष्क्रिय मान लिया जायेगा और इसे 50 रुपये जुर्माना देने के बाद ही दोबारा सक्रिय किया जा सकेगा. पीपीएफ में ब्याज की रकम वित्तीय वर्ष के अंत में जुड़ती है. लेकिन इसकी गणना हर महीने की 5 तारीख को खाते में उपलब्ध राशि के आधार पर की जाती है. आपको अधिक से अधिक ब्याज मिल सके, इसके लिए महीने की एक से चार तारीख तक पैसा जमा करना बेहतर रहता है.

आयकर लाभ

इस खाते में जमा की जाने वाली राशि पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत आयकर में छूट प्राप्त होती है. आप चाहें तो 80सी के तहत मिलने वाली डेढ़ लाख रुपये की छूट का पूरा का पूरा लाभ पीपीएफ से ही ले सकते हैं. इसके अलावा पीपीएफ में मिलने वाला ब्याज तथा इसकी परिपक्वता पर मिलने वाली कुल रकम भी आयकर से मुक्त होती है.

कर्ज एवं निकासी

पीपीएफ खाता सेवानिवृत्ति के समय के लिए होता है, इसलिए इसमें से पैसा ना निकालना ही बेहतर होता है. लेकिन आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर इसमें जमा रकम पर कर्ज लिया जा सकता है. साथ ही परिपक्वता से पूर्व आंशिक निकासी भी की जा सकती है. खाताधारक खाता खोलने के तीसरे वित्तीय वर्ष में कर्ज ले सकता है. यह कर्ज जमा राशि के 25 फीसदी तक के बराबर मिलेगा. लेकिन इसे 36 महीनों के अंदर चुकाना अनिवार्य होगा. कर्ज पर ब्याज की दर पीपीएफ ब्याज दर से 2 फीसदी अधिक होगी. एक बार कर्ज चुकने के बाद दूसरा कर्ज लिया जा सकता है. लेकिन साल में एक बार से ज्यादा कर्ज नहीं मिल सकता. कर्ज की सुविधा खाता खोलने के केवल छठवें वित्तीय वर्ष तक है. पीपीएफ खाते में से वर्ष में केवल एक बार राशि निकाली जा सकती है और वह भी खाते खोलने के 5 वर्ष बाद यानी छठवें साल से. निकासी की सीमा खाते में मौजूद राशि का 50 फीसदी तक हो सकती है.

अन्य योजनाओं से तुलना

लंबी अवधि की एफडी के लिए ब्याज दर पीपीएफ से ज्यादा नहीं है. इसके अलावा उस पर 80सी का लाभ भी नहीं मिलता. 80सी के लाभ के लिए विशेष एफडी मौजूद हैं, लेकिन उन पर पांच साल तक निकासी से रोक की शर्त लागू है. एफडी का ब्याज करयोग्य होता है और सालाना दस हजार रुपये ज्यादा ब्याज होने पर टीडीएस कट जाता है. एनएससी की बात करें, तो इस पर 80सी का लाभ मिलता है और ब्याज भी लगभग पीपीएफ के बराबर है. एनएससी पर टीडीएस भी नहीं कटता है, लेकिन परिपक्वता के समय मिलनेवाली राशि कर से मुक्त नहीं है. अगर बीमा की बात करें, तो पारंपरिक योजनाओं में रिटर्न सिर्फ 5-6 फीसदी सालाना बैठता है. इसे निवेश के रूप में लेना मूर्खता है. बीमा को सिर्फ जोखिम से रक्षा के लिए लें. यूनिट लिंक्ड प्लान में शेयर बाजार का जोखिम है. बाजार में कई पेंशन योजनाएं भी हैं, लेकिन वे भी यूनिट लिंक्ड हैं. ऐसे में लंबी अवधि के लिए पीपीएफ सर्वश्रेष्ठ निवेश है.

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