नयी दिल्ली : देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दिशा में सरकार को एक और सफलता हासिल हुई है. जनवरी में मुद्रास्फीति शून्य से 0.39 फीसदी घट कर साढ़े पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गयी है. ऐसा विनिर्माण और ईंधन उत्पादों की कीमत में गिरावट के कारण हुआ. हालांकि, सरकारी आंकड़ों में महंगाई दर में कमी आयी है, लेकिन इस दौरान बाजार में खाद्य कीमतों में किसी प्रकार की कमी नहीं देखी गयी. उल्टे खाद्य कीमतें बढीं.
संशोधित आंकड़ों में कम हुई महंगाई : थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में 0.11 प्रतिशत थी. नवंबर का संशोधित आंकड़ा घट कर शून्य से 0.17 प्रतिशत नीचे रहा, जबकि अस्थायी अनुमान शून्य प्रतिशत था. सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़े के मुताबिक, जनवरी में खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी दर्ज हुई और यह आठ प्रतिशत के छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी. जनवरी में दाल, सब्जी और अनाज की मूल्य-वृद्धि दर पिछले महीने के मुकाबले अधिक रही. समीक्षाधीन अवधि में इधर आलू, दूध, चावल और अंडा, मांस व मछली जैसे प्रोटीन युक्त उत्पादों की मूल्य-वृद्धि दर जनवरी के दौरान कमतर रही. ईंधन एवं ऊर्जा खंड में मुद्रास्फीति शून्य से 10.60 प्रतिशत कम रही, जबकि विनिर्मित उत्पादों की कीमत 1.05 प्रतिशत थी.
थोक महंगाई में आया संकुचन : आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में पेट्रोल के लिए थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 17.08 प्रतिशत का संकुचन हुआ, जो दिसंबर में 11.96 प्रतिशत था. इसी तरह पिछले महीने डीजल की कीमत में गिरावट पिछले महीने के मुकाबले अधिक रही. प्राथमिक उत्पादों में मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़ कर 3.27 प्रतिशत तक रही, जो दिसंबर में 2.17 प्रतिशत थी. मुद्रास्फीति ने इससे पहले जून, 2009 में इस स्तर को छुआ था, जबकि यह शून्य से 0.4 प्रतिशत कम रही.
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