सेक्स ट्वॉयज खुलेआम बेचने वाली वेबसाइटों के खिलाफ अदालत ने दिया जांच का आदेश

नयी दिल्ली : सेक्स ट्वॉयज की खुलेआम बिक्री पर दिल्ली की एक अदालत ने सवाल खड़ा किया है. कोर्ट ने उन वेबसाइटों पर जांच के आदेश दिये जहां सेक्स ट्वॉयज खुलेआम बेचे जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील सुहास आर जोशी की शिकायत पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह कदम उठाया इस शिकायत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2015 2:08 PM

नयी दिल्ली : सेक्स ट्वॉयज की खुलेआम बिक्री पर दिल्ली की एक अदालत ने सवाल खड़ा किया है. कोर्ट ने उन वेबसाइटों पर जांच के आदेश दिये जहां सेक्स ट्वॉयज खुलेआम बेचे जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील सुहास आर जोशी की शिकायत पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह कदम उठाया इस शिकायत में यह सवाल खड़ा किया गया है कि सेक्स ट्वॉयज बेचने वालो पर कानूनी अपराध का मामला चलाया जाना चाहिए.

सुनवाई के दौरान शिकायत पक्ष की तरह से यह दलील दी गयी कि टॉय के जरिये सेक्स का आनंद लेना धारा 377 का उल्लंघन है इसके तहत इन पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. इस कानून के तहत समलैगिकता या अप्राकृतिक सेक्स को अपराध माना गया है. इस मामले पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेटने प्राथमिक जांच करने और रिपोर्ट फाइल करने का आदेश दिया है. जोशी ने आरोप लगाया था कि ल्यूब, डिसेंसिटिसर, स्प्रे जैसे सेक्स ट्वॉयज अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं. मजिस्ट्रेट ने एसएचओ को 21 मार्च तक इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
शिकायतकर्ता आर जोशी ने एक अंग्रेजी अखबार को दिये साक्षात्कार में माना कि धारा 377 पर एक बड़ी बहस की जरूरत है. धारा 377 में अभी भी समलैंगिकता को अपराध माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 दिसंबर में अपने आदेश में धारा 377 को बरकरार रखते हुए समलैंगिकता को अपराध माना था साथ ही यह भी साफ कर दिया था कि इस विषय पर अंतिम फैसला संसद लेगा.

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