।। अमलेश नंदन सिन्हा ।।
गुरुवार को संसद में रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल बजट पेश करने वाले हैं. मोदी सरकार की ओर से दूसरी बार रेल बजट पेश किया जाने वाला है. पिछले वादों को शत प्रतिशत पूरा करने में सरकार असमर्थ रही है. इस बार जनता को रेल बजट से काफी उम्मीदें है. आम लोगों, कार्पोरेट घरानों और रेलवे कर्मचारियों को सरकार की ओर से पेश होने वाले रेल बजट से काफी अलग-अलग उम्मीदें हैं. अब देखना यह है कि सरकार जनता की उन उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है.
।। आम लोगों की उम्मीदें ।।
आम लोगों को रेल बजट से काफी उम्मीदें है. सरकार की ओर से जारी बयानों के बाद भी मध्यम वर्ग को महंगाई में खासी कमी नहीं दिख रही है. ऐसे में इस बार के रेल बजट में आम लोगों को उम्मीदें हैं कि सरकार किरायों में बढ़ोतरी नहीं करेगी और रेलवे सफर पर उन्हें महंगाई का दंश नहीं झेलना पड़ेगा.
सुरक्षा :
आम लोगों की ओर से रेलवे में सुरक्षा की मांग सबसे पहली मांग है. महिलाओं की प्राथमिकता में शामिल है कि रेलवे में उन्हें महिला जीआरपी की ओर से सुरक्षा प्रदान करने पर विशेष ध्यान दे. महिलाओं के साथ रेलवे में छेड़-छाड़ और बलात्कार की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसको रोकना सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती है. अकेली महिला का रेल में सफर करना खतरों को दावत देने के समान है. ऐसे में महिला जीआरपी सुरक्षा का जिम्मा संभलेंगी तो सफर करने वाली महिला यात्री अपने को काफी हद तक सुरक्षित महसूस करेंगी. इसके साथ ही रात के वक्त रेलवे में छिनतई और डकैती की घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. इससे निपटने के लिए भी सरकार को ठोस रणनीति तैयार करनी पड़ेगी.
सफाई और खाने पीने की उचित व्यवस्था :
आम लोगों की सरकार से मांग है कि रेलवे में सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए साथ ही सभी एक्सप्रेस और लंबी दूरी की ट्रेनों में खाने-पीने की समुचित व्यवस्था हो. खाने-पीने की वस्तुओं में भी सफाई पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए. ट्रेन के डब्बों सहित स्टेशनों पर भी सफाई की सुचित व्यवस्था हो. डब्बों में ऐसी प्रणाली का इस्तेमाल किया जाए, जिससे स्टेशन पर खड़ी ट्रेनों के शौचालय इस्तेमाल करने पर पर गंदगी स्टेशन पर ना फैले.
टिकटों की कालाबाजारी पर रोक :
मौजूदा समय में रेलवे में टिकटों की कालाबाजारी काफी बढ़ गयी है. यात्रियों का मानना है कि टिकटों लेने के लिए लंबी कतारों से बचने के लिए उन्हें दलालों का सहारा लेना पड़ता है. आम तौर पर दलाल पहले ही टिकट ले चुके होते हैं या उनकी टिकटिंग स्टॉफ से सांठगांठ होती है और वे ज्यादा पैसा वसूलकर कनफर्म टिकट की व्यवस्था करा देते हैं. इससे गरीबों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
वेटिंग टिकटों की संख्या घटे और अतिरिक्त डब्बे लगाये जायें :
यात्रियों का मत है किसी भी ट्रेन में निर्धारित सीटों के अलावे दी जाने वाली वेटिंग टिकटों की संख्या सरकार घटाए और जितने भी वेटिंग टिकट हों उसके अनुसार या तो ट्रेन में अतिरिक्त डब्बा लगाया जाये या विशेष ट्रेन की व्यवस्था की जाए. आम लोगों का मत है कि वे रिजर्व टिकटों के हिसाब से पूरे किराये का भुगतान करते हैं, फिर भी सीट कनफर्म नहीं होने की स्थिति में उन्हें रिजर्व क्लास (एसी) में बैठने की भी अनुमती नहीं होती है. अगर रेलवे में वेटिंग टिकटों का प्रावधान किया गया है तो अंत तक जितने भी वेटिंग टिकट हो उसके अनुसार ट्रेनों में डब्बे जोडे जायें और सभी मुख्य स्टेशनों पर ऐसे अतिरिक्त डब्बे होने चाहिए.
त्वरित रिजर्वेशन की सुविधा :
आम लोगों की बात की जाए तो उनकी राय है कि रेलवे स्टेशनों पर एक काउंटर ऐसा हो जहां त्वरित रिजर्वेशन की सुविधा उपलब्ध हो. इस काउंटर पर चलंत ट्रेनों में सीटें उपलब्ध होने की स्थिति में त्वरित रिजर्वेशन मिल सके. इससे रेलवे को भी मुनाफा होगा और यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी. हालांकि कुछ स्टेशनों पर यह सुविधा उपलब्ध है.
सामान्य श्रेणी के टिकट काउंटर की संख्या बढ़े :
आम लोगों का रेलवे बजट से उम्मीद है कि सरकार इस बजट में सामान्य टिकट काउंटरों की संख्या बढाने पर विचार जरुर करेगी. आम तौर पर सामान्य टिकट काउंटरों पर भरी भीड़ होने के कारण कई लोगों की ट्रेने छूट जाती हैं. अगर काउंटरों की संख्या ज्यादा होगी तो लंबी कतारें नहीं लगानी पड़ेगी. देखा गया है कि कई स्टेशनों पर टिकट काउंटरों की संख्या तो ज्यादा है लेकिन सभी काउंटर एक समय में काम नहीं करते है जिससे स्थिति जस की तस बनी रहती है.
तत्काल टिकटों से प्रतिक्षा सूची हटायी जाए :
आम लोगों की राय में तत्काल टिकट वही लोग लेते है जिन्हें काफी जरुरी काम से अचानक सफर करना पड़ता है. ऐसे में तत्काल टिकटों पर भी वेटिंग रहने से उन्हें किराया भी ज्यादा चुकाना पड़ता है और वे रिर्जव सीट पर सफर भी नहीं कर पाते हैं. इस संबंध में भी सरकार को जरुर विचार करना चाहिए. तत्काल टिकटों की कालाबाजारी पर भी रोक लगाने की आवश्यकता है.
पटरियों का विस्तार, समय पर ध्यान :
यात्रियों का मानना है कि सरकार ट्रेनों की संख्या तो लगातार बढ़ा रही है लेकिन उस अनुपात में पटरियों का विस्तार नहीं किया जा रहा है. ट्रेनों की संख्या बढाने और पटरियों के विस्तार में कमी के कारण अक्सर ट्रेने विलंब से आती और जाती हैं, जिससे आम यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आम लोगों की एक बड़ी मांग रेलवे के समय पर ध्यान भी है. किसी एक ट्रेन के विलंब से चलने से उस रूट की बाकी ट्रेनों के परिचालन पर भी असर पड़ता है.
दुर्घटना पर नियंत्रण :
आम लोगों की मानें तो रेलवे की सफर में दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. रेलवे अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर दुर्घटनाओं पर नियंत्रण रख सकता है. रेलवे के ड्राइवरों को ओवर टाइम ना कराया जाये जिससे वे नयी ताजगी के साथ दुबार सफर शुरू कर सकें. इसके साथ की जिस प्रकार रेलवे को आधुनिकता से जोड़ा जा रहा है उसी प्रकार पटरियों का विकास भी किया जाना चाहिए. तकनीक का उपयोग कर पटरियों की गुणवत्ता में सुधार की जाए और घनी आबादी क्षेत्र में बिना नाके के क्रासिंग से बचा जाए. सभी जगहों पर नाके लगाये जाने आवश्यक कर दिया जाना चाहिए.
शराब-धूम्रपान पर पूरी पाबंदी :
महिला यात्रियों का विशेष मांग में यह भी शामिल है कि एसी डब्बों में लोग धड़ल्ले से शराब और सिगरेट आदि का सेवन करते है, जिसपर कड़ाई से रोक लगाने की आवश्यकता है. कई बार अकेली सफर कर रही महिला के साथ स्िलपर और एसी डब्बों में नशे की हालत में छेड़खानी के मामले भी देखे गये हैं. पेंट्री कार का स्टॉफ भी कई मामलों में लोगों को शराब और सिगरेट उपलब्ध कराते देखे गये हैं.
।। रेलवे कर्मचारियों की मांगे ।।
सामान्य व स्लिपर को छोड़ सभी श्रेणी के किराये बढ़ाये जाए :
रेलवे कर्मचारियों की मांग है कि रेलवे को खस्ता हाल से निकालने के लिए उच्च श्रेणियों के किराये में बढ़ोतरी की जाए. इससे जो राजस्व की प्राप्ति होगी उससे रेलवे को खस्ता हाल से निकालने में मदद मिलेगी. कर्मचारियों की मांग है कि रेलवे अगर फायदे में हो तो इस राशि को सरकारी खजाने में जमा करने की जगह रेलवे की स्थिति सुधारने में ही खर्च किया जाना चाहिए.
सरकार क्वार्टर की मरम्मत :
रेलवे कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल है उनके क्वार्टर की स्थिति में सुधार करना. आम तौर पर देखा गया है कि अधिकतर रेलवे क्वार्टरों की स्थिति काफी खराब है. उनमें रहना खतरों से खाली नहीं है. ऐसे में सरकार उन क्वार्टरों की मरम्मत करवाकर रेलवे कर्मचारियों का सुरक्षा प्रदान करे.
कैशलेस मेडिकल सुविधा :
रेलवे अस्पतालों के अलावे कर्मचारियों की अगर अपना इलाज दूसरे अस्पतालों में कराना पड़ जाये तो उनकों अस्पताल में खर्च की जाने वाली राशि का भुगतान स्वयं ही करना पड़ता है और बाद में एक लंबी प्रक्रिया के बाद उस पैसे का कुछ ही अंश वापस मिल पाता है. कर्मचारी रेल बजट में सरकार से कैशलेस मेडिकल सुविधा की मांग कर रहे हैं.
फंडिग में इजाफा :
मौजूदा समय में रेलवे क्वार्टरों के लिए सरकार की ओर से 20 प्रतिशत फंडिंग की व्यवस्था है इसमें 10 प्रतिशत का इजाफा कर इसे 30 प्रतिशत करने का मांग की जा रही है. इसके साथ ही नये क्वार्टरों का निर्माण और पुरानों की मरम्मत पर पूरा ध्यान देने की भी मांग की जा रही है. वर्त्तमान में 6 लाख से अधिक रेलवे क्वार्टर है जिसमें अधिकतर खराब हालत में हैं.
एफडीआई का विरोध :
कर्मचारी आज भी रेलवे में एफडीआई के पक्ष में नहीं है. हालांकि इसका काफी जोर शोर से विरोध तो नहीं किया जा रहा है लेकिन विभिन्न यूनियनों की ओर से इसपर पुनर्विचार के लिए सरकार को आवेदन दिया गया है. देखा जाये तो कर्मचारी रेलवे में 100 प्रतिशत एफडीआई के खिलाफ है. अगर सरकार आंशिक रूप में एफडीआई पर विचार करेगी तो कर्मचारियों का सहयोग मिल सकता है.
।। उद्योपतियों की उम्मीदें ।।
भारतीय सहित विदेशी उद्योगपतियों को सरकार की ओर से गुरुवार को पेश होने वाली रेल बजट से काफी उम्मीदें हैं. सरकार की ओर से रेलवे में एफडीआई की मंजूरी को हरी झंडी मिलने के आसार हैं. उद्योगपतियों का मानना है कि भारतीय रेलवे के प्रति निवेशकों में काफी रूची देखने को मिल रही है. अगर सरकार नियमों को आसान बनाए तो इस क्षेत्र में काफी निवेश आ सकता है. वैसे सरकार टिकटिंग का नीतिकरण करने के पक्ष में है. हालांकि अभीतक इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रेलवे में निवेश को लेकर विदेशों में अच्छा क्रेज है, लेकिन लंबी अवधी के कारण निवेश प्रभावित हो रहा है. इसके साथ ही रेलवे के पास पड़ी जमीन का अगर लॉजिस्टीक टर्मिनल के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो इससे भी रेलवे को काफी फायदा होगा
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