रेल बजट में कई नयी योजनाएं पेश कर सकते हैं सुरेश प्रभु

नयी दिल्ली : रेलवे की वित्तीय खस्ताहाली के बीच रेल मंत्री सुरेश प्रभु कल अपना पहला बजट पेश करेंगे जिसमें किराये-भाड़े पर लोगों की नजर होगी साथ ही लोग यह भी देखेंगे कि बजट सेवाओं में सुधार, सुरक्षा और साफ सफाई के लिए क्या पहल की जा रही है. बजट में नई सरकार के ‘मेक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2015 4:35 PM

नयी दिल्ली : रेलवे की वित्तीय खस्ताहाली के बीच रेल मंत्री सुरेश प्रभु कल अपना पहला बजट पेश करेंगे जिसमें किराये-भाड़े पर लोगों की नजर होगी साथ ही लोग यह भी देखेंगे कि बजट सेवाओं में सुधार, सुरक्षा और साफ सफाई के लिए क्या पहल की जा रही है. बजट में नई सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल से जुडे प्रस्ताव शामिल किए जाने की भी संभावना है.रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा डीजल के दाम में कमी के बावजूद किराये में कटौती की संभावना से इनकार कर चुके हैं, लेकिन प्रभु के समक्ष अपने बजट में रेलवे की आमदनी और भारी आवश्यकताओं के बीच संतुलन साधने की एक बडी चुनौती होगी.

प्रभु माल-भाड़े को उंचा कर यात्री सेवाओं को सस्ता रखने की ‘आडी सब्सिडी’ को घटाने के बारे में योजना का खुलासा कर सकते हैं. रेलवे में आडी सब्सिडी 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है. साथ ही वह माल भाड़े में वृद्धि या बिना वृद्धि के वस्तुओं की कुल राष्ट्रीय ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढाने के लिये उपायोग की भी घोषणा कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि 2012-13 से पहले 10 साल तक रेल किराये में कोई वृद्धि नहीं हुई. तत्कालीन रेल मंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी ने 2012-13 में रेल किराये में वृद्धि की लेकिन बाद में द्वितीय तथा स्लीपर क्लास में की गयी वृद्धि को वापस ले लिया गया. उसके बाद रेल किराये में वृद्धि हो रही है. पिछले साल जुलाई में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के पहले रेल बजट में यात्री किराये और माल भाड़े में क्रमश: 14.92 प्रतिशत तथा 6.5 प्रतिशत की वृद्धि की गयी.

हालांकि डीजल के दाम में कमी जरुर हुई लेकिन दूसरी तरफ बिजली की लागत चार प्रतिशत से अधिक बढी है जो ईंधन समायोजन लागत के लिये संतुलन का काम किया है. रेलवे 2013 से शुल्क समीक्षा नीति को अपना रहा है. रेलवे फिलहाल 1,57,883 करोड रपये मूल्य की 676 परियोजनाओं को मंजूरी मिली हुई है और इनमें से केवल 317 परियोजनाएं पूरी की जा सकती हैं और 359 परियोजनाओं के लिये 1,82,000 करोड रपये की जरुरत होगी.रेलवे को कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के लिये कोष की जरुरत है. ऐसे में एक सुधारक के रुप में पहचाने जाने वाले प्रभु रेलवे के लिये निजी निवेश आकर्षित करने को लेकर रुपरेखा प्रस्तुत कर सकते हैं. कोष की बाधाओं को देखते हुए वह नई ट्रेनों और परियोजनाओं की घोषणा को लेकर थोडा ठंडा रुख अपना सकते हैं.

सूत्रों के अनुसार कोष का आबंटन केवल उन्हीं परियोजनाओं के लिये किया जाएगा जो रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण हैं. इसमें पूरा होने के करीब पहुंच चुकी महत्वपूर्ण नई रेल लाइन, डबल लाइन तथा रेल मार्ग का विद्युतीकरण शामिल हैं. वित्त वर्ष 2015-16 के लिये करीब 50,000 करोड रपये के सकल बजटीय समर्थन की मांग के अलावा रेलवे ने वित्त मंत्रालय से रेल सुरक्षा कोष के रुप में 20,000 करोड़ रपये की मांग की है ताकि मानव रहित रेलवे क्रासिंग को खत्म किया जा सके. देश में ट्रेन हादसों का यह एक प्रमुख कारण है.

प्रभु राज्य सरकारों तथा अन्य बाहरी एजेंसियों को शामिल कर परियोजनाओं को पूरा करने के लिये संयुक्त उद्यम व्यवस्था की घोषणा करेंगे. रेल मंत्री ने किराये में वृद्धि से पहले यात्री सुविधाओं में सुधार पर जोर दिया हैं ऐसे में रेल परिसरों में यात्रियों के लिये सुविधाओं को बेहतर बनाने में सीएसआर (कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी) कोष के उपयोग समेत कई उपायों की घोषणा की जा सकती है.

प्रभु राजस्व बढाने पर ध्यान दे सकते हैं और संसाधन में इजाफा के लिये कुछ नये तरीकों की घोषणा कर सकते हैं. इसमें विज्ञापनों से आय प्राप्त करना तथा अतिरिक्त जमीन के उपयोग समेत अन्य गैर-शुल्क उपाय शामिल हैं. ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत रेल बजट में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिये जाने की संभावना है और इसके लिये सभी डिब्बों में कूडादान रखने के अलावा 100 और रेलगाडियों में ह्यचलती ट्रेन में साफ-सफाई की सुविधाह्ण का विस्तार किये जाने के प्रस्ताव जैसे उपाय किये जा सकते हैं.

‘क्लीन ट्रेन स्टेशन स्कीम’ के तहत ट्रेन और स्टेशनों पर जैव-शौचालय स्थापित किये जाएंगे. राजग सरकार के बुलेट ट्रेन के वादे को ध्यान में रखकर प्रभु मुंबई-अहमदाबाद के बीच महत्वकांक्षी तीव्र गति वाली ट्रेन परियोजना के लिये आगे के कदम की घोषणा कर सकते हैं. साथ ही प्रस्तावित हीरक चतुर्भुज मार्ग के लिये सर्वे कार्यक्रम का भी ऐलान किया जा सकता है.राजधानी और शताब्दी मार्गों पर यात्रा समय में कमी लाने के लिये बजट में बहु-प्रतीक्षित 20 ट्रेन खरीदने की योजना की भी घोषणा की जा सकती है. बजट में मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों के लिये रेलवे के चेन्नई कारखाने में उपयुक्त डिब्बों के विनिर्माण की योजना की भी घोषणा की जा सकती है.

100 स्टेशनों का फिर से विकास, बाजार परिसरों के निर्माण के लिये खाली जगहों का उपयोग तथा अन्य वाणिज्यिक परियोजनाओं के बारे में बजट में जिक्र किया जा सकता है. इंटर-सिटी सेवाओं में यात्रा को और आरामदायक बनाने के लिये 2015-16 के रेल बजट में एसी रैक शामिल किये जाने की भी घोषणा किये जाने की उम्मीद है.बजट में मेक इन इंडिया अभियान के तहत इंजन में लगने वाले क्रैंक शाफ्ट, अल्टरनेटर्स और फोर्जड व्हील्स जैसे उपकरणों के आयात के बजाए उसका देश में ही विनिर्माण का प्रस्ताव किया जाएगा. प्रभु रेलवे को शारीरिक रुप से नि:शक्त लोगों के लिये ज्यादा बेहतर बनाने के इरादे से कुछ उपायों की घोषणा कर सकते हैं. इसमें दृष्टिहीन यात्रियों के लिये सभी नये डिब्बों में ब्रेल निर्देशक लगाये जाने का प्रस्ताव शामिल है.

सूत्रों के अनुसार इस साल के रेल बजट में ग्राहकों की संतुष्टि पर विशेष जोर होगा. इसके तहत इंटर-सिटी सेवाओं के लिये डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) ट्रेनों में एसी डिब्बे लगाया जाना तथा डीजल इंजन कैब्स में तेज आवाज में कमी लाने का प्रस्ताव किया जा सकता है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में संपर्क बढाने के लिये प्रभु राष्ट्रीय परियोजना के रुप में इन क्षेत्रों के लिये डेमू सेवाओं की घोषणा कर सकते हैं.

रेलवे ने कमाई बढाने के लिये प्रीमियम ट्रेनें पेश की है. अब उपयोग के लिहाज से शौचालयों को ज्यादा बेहतर बनाने समेत डिब्बों को उन्नत बनाया जाएगा. इसके लिये नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजाइन की सेवा ली जा सकती है. रेल बजट में आईटी सेवाओं के व्यापक उपयोग की भी घोषणा की जा सकती है. इसमें ट्रेनों के प्रबंधन समेत यात्रियों के लिये एप्स का विकास तथा रेल परिसरों में वाई-फाई सेवाएं देना शामिल हैं.बजट में सौर उर्जा समेत हरित उर्जा के उपयोग की भी घोषणा की जा सकती है. इसके अलावा जल शोधन संयंत्र समेत जल संरक्षण के उपायों की भी घोषणा किये जाने की उम्मीद है.

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