नयी दिल्ली : सस्ते किराये वाली विमानन कंपनी स्पाइसजेट को उसके नये मालिक अजय सिंह से 500 करोड रुपये मिले हैं जिसकी उसे बेहद जरुरत थी। सिंह ने इसके साथ ही आज संकेत दिया कि वह विमानन कंपनी के प्रबंधन में नए लोगों को लायेंगे लेकिन फौरन किसी बदलाव से इनकार किया. सिंह का यह निवेश विमानन कंपनी के पुनरद्धार के लिए 1,500 करोड रुपये की निवेश योजना का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि वह मांग बढाने के लिए रियायती किराए वाली स्पाइसजेट की बिक्री नीति की समीक्षा के लिए तैयार हैं ताकि यह फैसला किया जा सके कि ऐसा करना चाहिए या नहीं.
सिंह ने कहा ‘‘हम प्रबंधन स्तर पर कुछ वरिष्ठ कार्यकारियों की तलाश कर रहे हैं. लेकिन हम फिलहाल विमानन कंपनी में कोई बडा बदलाव नहीं कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि गर्मियों की समयसारणी के हिसाब से एयरलाइन में कार्यबल उपयुक्त लगता है – जबकि सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में उडानों की संख्या अधिक होगी। फिर भी उन्होंने कहा कि यदि कुछ प्रतिभाशाली लोग दिखते हैं तो हम विचार करेंगे. स्पाइसजेट में जुलाई 2013 से मुख्य कार्यकारी अधिकारी नहीं है. उस समय विमानन कंपनी के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी नील मिल्स ने इस्तीफा दिया था. इसके अलावा कंपनी में काफी समय से पूर्णकालिक मुख्य वित्तीय अधिकारी नहीं है. सिंह ने यह भी कहा कि कुछ लोग काम छोड चुके हैं और वापस सक्रिय होना चाहते हैं तो उनकी इच्छा पर विचार किया जाएगा. स्पाइसजेट से मारन परिवार के बाहर निकलने के बाद एयरलाइन के मूल प्रवर्तक रहे सिंह 60.31 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एक बार फिर इसके मालिक बन गये हैं. वह विमानन कंपनी के लिए अप्रैल तक दो और किस्तों का भुगतान करेंगे.
इस बीच सिंह ने कहा कि स्पाइसजेट की रियायती दरों पर टिकट की बिक्री तभी तक ठीक थी जब तक यह बाजार प्रोत्साहन देता और राजस्व में कमी नहीं आती है. उन्होंने कहा ‘‘इन पेशकशों से मांग बढे लेकिन राजस्व कम नहीं होना चाहिए. ये ऐसी सीटों के लिए होता है जो काफी पहले बुक होती हैं और हमारे विचार से इनकी बिक्री ही नहीं हो पाती. यदि आय कम होती है तो रियायती दर पर टिकटों की बिक्री नहीं होनी चाहिए। इसलिए हम पूरी रणनीति पर फिर से विचार करेंगे.’’ सिंह ने कहा कि स्पाइसजेट 500 करोड रुपये का उपयोग कर्जदाताओं का बाकाया चुकाने के लिए करेगी. कुछ हिस्से का उपयोग विस्तार के लिए भी होगा.
उन्होंने कहा ‘‘हम इस धन का उपयोग रिणदाताओं के कर्ज के भुगतान और शेष का उपयोग विस्तार के लिए करेंगे। इसके पीछे विचार यह है कि पहले हर सांविधिक उत्तरदायित्व का निर्वाह हो.’’
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