नयी दिल्ली : आर्थिक सुधारों को आगे बढाये जाने, कच्चे तेल की कीमत में नरमी तथा नीतिगत ब्याज दर में कटौती से देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में 8.1 से 8.5 प्रतिशत रहेगी और आने वाले वर्षों में दहाई अंक तक चली जाएगी. केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में रखे गये 2014-15 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘सुधारों के आगे बढने, तेल कीमतों में गिरावट, मुद्रास्फीति में नरमी के साथ नीतिगत ब्याज दर में कमी तथा 2015-16 में मानसून सामान्य रहने के प्रभावों से वृद्धि को गति मिलेगी.’
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2013-14 के 6.9 प्रतिशत से उंचा है. समीक्षा के अनुसार 2014-15 के लिये नये अनुमान के आधार के तहत स्थिति मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 2015-16 में 8.1 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है.’ इसमें कहा गया है, ‘आने वाले वर्ष में बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 2014-15 के मुकाबले 0.6 प्रतिशत से 1.1 प्रतिशत अंक अधिक रहने का अनुमान है.’ 2014-15 की आर्थिक समीक्षा में संकेत दिया गया है कि सुधारों के लिये स्पष्ट राजनीतिक जनादेश तथा बाह्य माहौल बेहतर होने से देश की आर्थिक वृद्धि दर दोहरे अंक में जाने की उम्मीद है.’
इसमें कहा गया है कि मुद्रास्फीति में गिरावट तथा इसके कारण नीतिगत ब्याज दर में कमी से ब्याज से संबद्ध क्षेत्रों में घरेलू खर्च बढने तथा कंपनियों के ऋण में कमी एवं इससे उनके बही-खाते मजबूत होने के कारण वृद्धि को गति मिलेगी. इसके अलावा इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले मानसून बेहतर रहने के अनुमान से भी आर्थिक वृद्धि ऊंची रहने की संभावना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सरकार ने कई क्षेत्रों में डीजल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने, विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढाने आदि जैसे आर्थिक सुधार किये हैं.
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