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जेटली ने बजट भाषण में शायराना रखा अंदाज, ”सर्वे भवन्तु सुखिन” के साथ किया समापन

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज अपने बजट भाषण की शुरुआत में ही कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए एक शेर पढा और भाषण का अंत संस्कृत के एक श्लोक से किया. वह श्‍लोक था ‘ओम सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्रानि पश्यन्तु, मा कश्चिद दुखभाग भवे, ओम शांति शांति […]

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज अपने बजट भाषण की शुरुआत में ही कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए एक शेर पढा और भाषण का अंत संस्कृत के एक श्लोक से किया. वह श्‍लोक था ‘ओम सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्रानि पश्यन्तु, मा कश्चिद दुखभाग भवे, ओम शांति शांति शांति.’ जिसका भावार्थ था ‘सभी सुखी रहें, सभी खुश रहें.’

लोकसभा में वर्ष 2015-16 के लिए आम बजट भाषण की शुरुआत में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार को निशाने पर लेते हुए यह शेर पढा : ‘कुछ तो फूल खिलाए हमने, और कुछ फूल खिलाने हैं, मुश्किल ये है बाग में अब तक, कांटे कई पुराने हैं.’

इस शेर से जहां विपक्षी बेंचों पर खामोशी छा गयी वहीं सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार तरीके से मेजें थपथपाई. विपक्ष की अग्रिम पंक्ति में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौडा बैठे हुए थे. आसमानी रंग की कमीज और काली पतलून और गहरे नीले रंग की नेहरु जैकेट पहने जेटली ने करीब पौने दो घंटे में अपना बजट भाषण पूरा किया.

दर्शक दीर्घा में उनकी बडी बहन मधु और भांजी पुनिता भी काफी ध्यान से उनका बजट भाषण सुनते देखीं गयीं. वित्त मंत्री ने कई अवसरों पर लिखित भाषण से हटते हुए कुछ चीजों को विशेष रूप से सदस्यों को समझाने का प्रयास किया. भाषण की समाप्ति की ओर बढते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की प्रतिबद्धता ‘दरिद्र नारायण’ के प्रति है और यह प्रतिबद्धता जाति, नस्ल या धर्म के भेदभाव के बिना समानता और सभी के लिए न्याय के संवैधानिक सिद्धांतों से संचालित है.

इसी संदर्भ में उन्होंने भाषण की समाप्ति पर संस्कृत का श्लोक पढा : ‘ओम सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्रानि पश्यन्तु, मा कश्चिद दुखभाग भवे, ओम शांति शांति शांति.’

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