बजट में ”निवेश”, ”कारोबार में सुगमता” शब्दों का हुआ ”दर्जनों” बार इस्तेमाल
नयी दिल्ली : ईज आफ डूइंग बिजनस (कारोबार में सुगमता) को लेकर भारत का रिकार्ड भले ही अच्छा न हो पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के पहले पूर्ण बजट भाषण में यह बडी प्रमुखता के विषय के रूप में उभरा. पूरे बजट भाषण में इस जुमले का दस बार इस्तेमाल किया गया. हालांकि, बजट में […]
नयी दिल्ली : ईज आफ डूइंग बिजनस (कारोबार में सुगमता) को लेकर भारत का रिकार्ड भले ही अच्छा न हो पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के पहले पूर्ण बजट भाषण में यह बडी प्रमुखता के विषय के रूप में उभरा. पूरे बजट भाषण में इस जुमले का दस बार इस्तेमाल किया गया. हालांकि, बजट में महत्वपूर्ण शब्दों के इस्तेमाल के हिसाब से इन्वेस्टमेंट (निवेश) पर सर्वाधिक जोर रहा और जेटली ने इस शब्द का इस्तेमाल 60 बार किया.
पिछले साल जुलाई में जेटली के पहले बजट भाषण में कारोबार में सुगमता का एक बार भी जिक्र नहीं आया था. विश्व बैंक की कारोबार में सुगमता की 189 देशों की सूची में भारत खिसक कर 142वें स्थान पर चला गया है. नयी सरकार लगातार यह कह रही है कि वह इस मामले में भारत की स्थिति में सुधार लाने को प्रतिबद्ध है. आज के बजट भाषण में वृद्धि (ग्रोथ), बुनियादी ढांचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर), विदेशी निवेश (फॉरेन इन्वेस्टमेंट) शब्दों का भी कई बार उल्लेख आया.
इस बार जेटली ने बजट भाषण में निवेश शब्द का इस्तेमाल 60 बार किया जबकि पिछले साल उन्होंने इस शब्द का 34 बार उल्लेख किया था. वहीं इस बार ग्रोथ (वृद्धि) शब्द का उल्लेख 27 बार आया, जबकि जुलाई, 2014 में इस शब्द का उल्लेख 31 बार किया गया था. जेटली के पूर्ववर्ती पी चिदंबरम ने फरवरी, 2014 में अपने अंतरिम बजट भाषण में वृद्धि शब्द का 32 बार इस्तेमाल किया था.वहीं निवेश शब्द का इस्तेमाल 11 बार किया गया था.
वित्त वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में रोजगार (जॉब्स), कौशल (स्किल), युवा (यूथ), कारपोरेट तथा गरीब (पूअर) आदि शब्दों का भी कई बार उल्लेख हुआ. लेकिन संकट (क्राइसिस) शब्द का एक बार भी प्रयोग नहीं किया गया. हालांकि, पूर्व के बजट भाषणों में यह शब्द काफी बार बोला जाता था. जेटली ने आज रोजगार शब्द का 23 बार उल्लेख किया, वहीं कौशल शब्द का जिक्र 14 बार आया. पिछले साल जुलाई में इन शब्दों का दस-दस बार उल्लेख किया गया था.
उन्होंने छह बार घाटा (डेफिसिट) शब्द का उल्लेख किया, जबकि पिछली बार यह शब्द नौ बार आया था. सुस्ती या स्लोडाउन शब्द का इस बार एक भी जिक्र नहीं आया. पिछली बार यह शब्द तीन बार बोला गया था. मुद्रास्फीति काफी समय से चिंता का विषय बनी हुई है. इस बार इनफ्लेशन शब्द का जिक्र आठ बार आया, जबकि पिछले साल जुलाई में यह शब्द छह बार बोला गया था. पूर्व के बजट भाषणों में भी मुद्रास्फीति, घाटा और गरीब शब्दों का जमकर इस्तेमाल किया जाता रहा है.