एयरसेल मैक्सिस मामला : मारन बंधु आरोपी के रूप में पेश हुए, जमानत याचिका पेश
नयी दिल्ली : पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिति मारन एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में आज एक विशेष 2जी अदालत के समक्ष आरोपी के रूप में पेश हुए. मारन बंधु अपने खिलाफ जारी सम्मन पर विशेष सीबीआइ न्यायाधीश ओपी सैनी के समक्ष पेश हुए और अलग-अलग जमानत याचिकाएं दायर की, जिन पर अदालत […]
नयी दिल्ली : पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिति मारन एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में आज एक विशेष 2जी अदालत के समक्ष आरोपी के रूप में पेश हुए. मारन बंधु अपने खिलाफ जारी सम्मन पर विशेष सीबीआइ न्यायाधीश ओपी सैनी के समक्ष पेश हुए और अलग-अलग जमानत याचिकाएं दायर की, जिन पर अदालत ने सीबीआई से 16 मार्च तक जवाब देने को कहा.
अदालत ने कहा कि जमानत याचिका पर 16 मार्च को जवाब दिया जाए. सुनवाई के दौरान सीबीआइ अभियोजक केके गोयल ने अदालत को बताया कि मारन बंधु और फर्म डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड सहित भारत आधारित तीन आरोपियों को सम्मन तामील हो चुके हैं.
गोयल ने अदालत को बताया कि मॉरीशस आधारित एक आरोपी फर्म को भी खबरों के अनुसार सम्मन मिल चुका है, लेकिन उन्हें इस संबंध में उसका कोई जवाब नहीं मिला है. अभियोजक ने सूचित किया कि अन्य चार आरोपियों-जो मलेशिया और ब्रिटेन में आधारित हैं- को सम्मन अब तक तामील नहीं हो सका है तथा वे संबंधित अधिकारियों के समक्ष मुद्दे पर प्रक्रिया तेज कर रहे हैं.
सीबीआइ ने उन्हें भादंसं की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत आरोपित किया है. एजेंसी ने पहले अदालत को बताया था कि आठ आरोपियों में से पांच मलेशिया, मॉरीशस और ब्रिटेन जैसे विभिन्न देशों में रह रहे हैं या वहां आधारित हैं, जबकि शेष तीन चेन्नई में आधारित हैं.
पिछले साल 29 अगस्त को सीबीआइ ने मामले में आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में 151 लोगों के नाम और 655 दस्तवेजों का सेट शामिल था, जिस पर यह अपनी जांच के दौरान निर्भर रही है. सीबीआइ ने अदालत में आरोप लगाया था कि दयानिधि मारन ने 2006 में चेन्नई आधारित दूरसंचार प्रमोटर सी. शिवशंकरन पर इस बात के लिए ‘‘दबाव’’ डाला था और ‘‘मजबूर’’ किया था कि वह एयरसेल और दो अनुषंगी फर्मो में अपनी हिस्सेदारी मलेशियाई फर्म मैक्सिस ग्रुप को बेच दें. इसने तर्क दिया था कि मामले में जांच विदेशी देशों तक जुड़ी है और आरोप पत्र में बताए गए आरोपियों के खिलाफ आगे बढ़ने का पर्याप्त आधार है.
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