नयी दिल्ली :आरबीआई द्वारा दरों में कटौती के समय से अचंभित केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने आज कहा कि आम बजट ब्याज दरों में कटौती के लिए प्रेरित करने के लिए पर्याप्त नहीं था और उन्हें उम्मीद थी कि आरबीआई अगले महीने तक इंतजार करेगा.
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष रह चुके रंगराजन ने कहा कि मुख्य दर में कटौती की जरुरत थी लेकिन वे इसके समय से अचंभित हैं. रंगराजन ने कहा ‘मैं मुख्य दर में कटौती के संबंध में आरबीआई से असहमत नहीं हूं. लेकिन मुझे दर में कटौती के समय से आश्चर्य हो रहा है. मुझे उम्मीद थी की आरबीआई अप्रैल की बैठक में दर में कटौती करेगी.’
आरबीआई अपनी अगली मौद्रिक नीति समीक्षा सात अप्रैल को करने वाला है, लेकिन उसने आज सुबह ही रेपो दर में 25 आधार अंक की कटौती की घोषणा की है जो दो महीने से भी कम समय में दूसरी बार की गई कटौती है. रंगराजन ने कहा कि सरकार ने सब्सिडी घटाने के पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से सब्सिडी घटी है. आगे चलकर तेल की कीमतें थोडी चढ सकती हैं.
उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति रुपरेखा को लेकर किए गए करार की वजह से शायद रिजर्व बैंक ने दरों में कटौती की है. दर में कटौती के लिए बजट कोई उत्प्रेरक नहीं था. लेकिन मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक को राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.’ रंगराजन ने कहा, ‘आरबीआई को एक नियामक के तौर पर राजकोषीय मजबूती पर ध्यान देना चाहिए और यह देखना चाहिए कि इसके लिए क्या किया जा रहा है और कैसे किया जा रहा है.’
आरबीआई की पहल पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा ‘दरों में कटौती से अल्पकालिक स्तर पर प्रोत्साहन मिलेगा. आने वाले दिनों में दर चक्र आंकड़ों पर आधारित होगा.’सिन्हा ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में वृहत् आर्थिक आंकड़ा दरों में कटौती की और गुंजाइश पेश करेगा. उन्होंने कहा ‘हमें कर्ज की मासिक किस्तें कम होती दिखेंगी.’ मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने कहा कि सरकार और आरबीआई का आर्थिक संभावना का आकलन एक जैसा है.
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