रिजर्व बैंक के अधिकार को लेकर संसद में दूर किया जाएगा भ्रम : अरुण जेटली
मुंबई : वित्त विधेयक के एक प्रावधान को लेकर रिजर्व बैंक के अधिकारों में कमी की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि ऐसे किसी प्रावधान पर चर्चा संसद में ही होगी. ऐसी आशंका है कि इस प्रावधान से ऋण बाजार के विनियमन की आरबीआई की शक्ति कम हो सकती है. […]
मुंबई : वित्त विधेयक के एक प्रावधान को लेकर रिजर्व बैंक के अधिकारों में कमी की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि ऐसे किसी प्रावधान पर चर्चा संसद में ही होगी. ऐसी आशंका है कि इस प्रावधान से ऋण बाजार के विनियमन की आरबीआई की शक्ति कम हो सकती है. जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं इसके (इस प्रावधान के) बारे में (संसद के) बाहर चर्चा नहीं करना चाहता. यदि वित्त विधेयक को लेकर कोई भ्रम है तो हम इस पर संसद में चर्चा करेंगे.’
वह वित्त विधेयक में उल्लेखित संबंधित प्रावधान के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे. वित्त मंत्री नेशनल स्टाक एक्सचेंज में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के साथ बैठक के सिलसिले में यहां आये हुए थे. उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से कोई बात नहीं की और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर कर के प्रावधानों से संबंधित सवालों को भी टाल दिया. गौरतलब है कि वित्त मंत्री के बजट भाषण में ऋण बाजार के विनियमन के बारे में रिजर्व बैंक के अधिकार को लेकर कोई सीधा उल्लेख नहीं था.
लेकिन कहा जा रहा है कि वित्त विधेयक के संबंधित प्रावधानों से ऋण बाजार के नियमन का अधिकार रिजर्व बैंक से हटकर पूंजी बाजार नियामक सेबी के पास चला जाएगा. रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इस मुद्दे पर कहा था, ‘वित्त विधेयक में कुछ उपबंध ऐसे हैं जिनमें इसका जिक्र है लेकिन वित्त मंत्री के बजट भाषण में इस संबंध में कोई जिक्र नहीं किया गया. बजट भाषण में सामान्य तौर पर सरकार द्वारा उठाये जाने वाले महत्वपूर्ण कदमों का उल्लेख होता है.
मुझे इसको लेकर कोई चिंता नहीं है.’ वित्त मंत्री ने 28 फरवरी को लोकसभा में अपने बजट भाषण में कहा था कि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच मौद्रिक नीति व्यवस्था के बारे में एक समझौता 20 फरवरी को हो चुका हैं जिसके तहत एक मौद्रिक नीति समिति गठित की जाएगी और रिजर्व बैंक के लिये मुद्रास्फीति का लक्ष्य संसद तय करेगी.
उन्होंने बजट भाषण में कहा था कि इसके अलावा रिजर्व बैंक के अधिनियम में संशोधन करके लोक ऋण प्रबंधन के लिये एक अलग एजेंसी पीडीएमए बनायी जाएगी जो सरकार और अन्य सार्वजनिक ऋणों का प्रबंधन करेगी. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इससे सरकारी बांडों के विनियमन का रिजर्व बैंक का कुछ अधिकार कम हो जाएगा.
यद्यपि रिजर्व बैंक द्वारा गठित उर्जित पटेल समिति ने भी मौद्रिक समिति के गठन के बारे में सिफारिश की है और 2002 में रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर बिमल जालान ने पीडीएमए के गठन का सुझाव दिया था. सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री ने आज यहां करीब 50 एफपीआई के साथ बैठक की.
कहा जा रहा है कि उन्होंने मैट को लेकर उन्हें जारी किये गये नोटिस को लेकर पैदा आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया. जेटली के साथ वित्त सचिव राजीव महर्षि और संयुक्त सचिव मनोज जोशी भी मौजूद थे. बैठक में मोर्गन स्टेनले, यूबीएस और प्रिंसिपल ग्लोबल सहित विभिन्न वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे.