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जेटली 22 मार्च को रिजर्व बैंक निदेशक मंडल को संबोधित करेंगे

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली 22 मार्च को यहां रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल को संबोधित करेंगे और उन्हें आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन व राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण के लिए बजट में किए गए प्रावधानों के बारे में जानकारी देंगे. सूत्रों ने बताया, ‘‘बैठक 22 मार्च को होगी जिसमें वह निदेशक मंडल के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2015 12:46 PM

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली 22 मार्च को यहां रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल को संबोधित करेंगे और उन्हें आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन व राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण के लिए बजट में किए गए प्रावधानों के बारे में जानकारी देंगे. सूत्रों ने बताया, ‘‘बैठक 22 मार्च को होगी जिसमें वह निदेशक मंडल के सदस्यों को संबोधित करेंगे और बजट में वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में घोषणाओं के बारे में बात करेंगे.’’ वित्त मंत्री पारंपरिक तौर पर बजट के बाद रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल को संबोधित करते हैं जिसमें आरबीआई गवर्नर और मौजूदा तीन डिप्टी गवर्नर होते हैं.

जेटली ने 28 फरवरी को अपना पहला पूर्ण बजट पेश किया है और वह कंेद्रीय बैंक के निदेशक मंडल को राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण के लिए की गई पहलों के बारे में बता सकते हैं और साथ ही वृद्धि को प्रोत्साहिन के लिए ब्याज दरों में कटौती की जरुरत को रेखांकित कर सकते हैं. यह बैठक उस समय हो रही है जबकि रिजर्व बैंक ने बजट 2015-16 की घोषणा के कुछ ही दिन के भीतर नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. जेटली केंद्रीय बैंक को मुख्य दरों में कटौती के लिए बधाई दे सकते हैं. यह पिछले दो महीने से कम अवधि में आश्चर्यजनक रुप से नियमित नीतिगत समीक्षा के अलावा मुख्य दरों में की गई दूसरी कटौती है.

रिजर्व बैंक ने 4 मार्च को नीतिगत या रेपो दर घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दी जिससे कंपनियों की पूंजी लागत कम होने और निवेश के माहौल में तेजी आने की उम्मीद है. इससे पहले 15 जनवरी, 2015 को रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 7.75 प्रतिशत की थी. यह बैठक इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि केंद्रीय बैंक 7 अप्रैल को 2015-16 के लिए अपनी पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है.

उम्मीद है कि बजट में घोषित राजकोषीय पुनर्गठन की पहलों और मुद्रास्फीति घटने के बीच वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्री ब्याज दरों में कटौती पर जोर दे सकते हैं.

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