कोलंबो : श्रीलंका की नयी सरकार ने आज कहा कि चीनी कंपनियों के साथ अब तरजीही व्यवहार नहीं होगा. श्रीलंका की पूर्व महिंदा राजपक्षे सरकार ने चीनी कंपनियों को इस तरह की सुविधा दी थी. चीन की कंपनी द्वारा बिना जरुरी मंजूरी लिये 1.5 अरब डालर की कोलंबो बंदरगाह परियोजना का काम शुरू करने का आरोप लगाते हुए श्रीलंका सरकार ने यह बात कही.
चीनी कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी) द्वारा कोलंबो बंदरगाह शहर की परियोजना पर काम शुरू करने के बारे में श्रीलंका के वित्त मंत्री रवि करुणानायके ने हांगकांग स्थित साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट से कहा कि परियोजना के लिये अनिवार्य पर्यावरण प्रभाव और व्यवहार्यता अध्ययन का कोई रिकार्ड नहीं है और न ही कोई ऐसा दस्तावेज है जिससे पता चले कि सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है.
उन्होंने पोस्ट से कहा, ‘यही कारण है कि हमने उनसे (सीसीसीसी) से ऐसा दस्तावेज दिखाने को कहा है जो उन्हें कानूनी रूप से जारी किया गया है पर कंपनी अब तक ऐसा करने में नाकाम रही है.’ वहीं चीनी कंपनी का कहना है कि परियोजना से संबद्ध सभी अध्ययन किये गये थे और पूर्व सरकार ने मंजूरी दी थी. वित्त मंत्री ने कहा, ‘कोई मंजूरी नहीं है और मुझे बताया गया है कि अन्य देशों में इस कंपनी को काली सूची में डाला गया हैं.’
श्रीलंका की नयी सरकार ने इस परियोजना को अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया. परियोजना को चीन की समुद्री सिल्क मार्ग योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है. इस परियोजना से हिन्द महासागर, लाल सागर और भूमध्यसागर के जरिये से चीन और यूरोप को जोडने की योजना है. पिछली राजपक्षे सरकार ने चीन की इस परियोजना को समर्थन देने की पहल की थी, हिन्द महासागर में चीन की उपस्थिति को लेकर भारत में चिंता बढने लगी थी.
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