स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार को 94,000 करोड रुपये की बोलियां मिलीं
नयी दिल्ली : सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी के आज पांचवे दिन की समाप्ति तक दूरसंचार कंपनियों की ओर से 94,000 करोड रुपये की बोलियां प्राप्त हो चुकी हैं. दूरसंचार विभाग ने कहा, ‘ये बोलियां सभी बैंड्स के स्पेक्ट्रम के हैं. वर्तमान में, अस्थायी तौर पर जीते गए स्पेक्ट्रम के संदर्भ में बोलीकर्ताओं की ओर से […]
नयी दिल्ली : सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी के आज पांचवे दिन की समाप्ति तक दूरसंचार कंपनियों की ओर से 94,000 करोड रुपये की बोलियां प्राप्त हो चुकी हैं. दूरसंचार विभाग ने कहा, ‘ये बोलियां सभी बैंड्स के स्पेक्ट्रम के हैं. वर्तमान में, अस्थायी तौर पर जीते गए स्पेक्ट्रम के संदर्भ में बोलीकर्ताओं की ओर से करीब 94,000 करोड रुपये की बोलियां लगाई गई हैं. बिक्री के लिए अब भी स्पेक्ट्रम बचा है. बोली कल दोबारा शुरू होगी.’
विभाग ने कहा कि आज सात दौर की बोलियां लगाई गईं और अभी तक 31 दौर की बोलियां लगाई जा चुकी हैं. सरकार ने 2जी और 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से कम से कम 82,000 करोड रुपये राजस्व हासिल करने का लक्ष्य शनिवार को ही पार कर लिया. शनिवार को बोलियों के चौबीस दौर के अंत में 86,000 करोड रुपये मूल्य की बोलियां प्राप्त हुई थीं. यदि इसी तेजी के साथ बोली लगना जारी रहता है तो सरकार को स्पेक्ट्रम की बिक्री से एक लाख करोड रुपये से अधिक की राजस्व प्राप्ति हो सकती है.
सरकार नीलामी के नतीजे जारी नहीं करेगी क्योंकि उच्चतम न्यायालय में एक मामला लंबित है. इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होनी है. बोली का 31 दौर खत्म होने पर 800 मेगाहर्ट्ज बैंड में तीन सर्किलों- आंध्र प्रदेश, असम और पूर्वोत्तर में स्पेक्ट्रम की अत्यधिक मांग दर्ज की गई, जबकि 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड में कोलकाता में स्पेक्ट्रम की अधिक मांग दर्ज की गई.
मौजूदा दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल और वोडाफोन अपना स्पेक्ट्रम बचाने के लिए रिलायंस जियोज के साथ मुकाबला कर रही हैं. सरकार चार बैंड्स- 2,100 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज और 800 मेगाहर्ट्ज में स्पेक्ट्रम की बिक्री कर रही है. मुंबई, दिल्ली और आंध्र प्रदेश में 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड में अभी तक कोई बोली नहीं लगाई गई है. जिन ज्यादातर स्पेक्ट्रम की नीलामी की जा रही है वे वर्तमान में एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेलुलर और रिलायंस टेलीकाम के पास हैं. इन दूरसंचार आपरेटरों के लाइसेंस 2015-16 में समाप्त हो रहे हैं.
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