नयी दिल्ली : भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अगले पांच साल में विभिन्न रेल परियोजनाओं के विकास में 1.5 लाख करोड रुपये के निवेश की आज प्रतिबद्धता जतायी. भारतीय रेल में होने वाला यह अब तक का सबसे बडा निवेश होगा. यह निवेश अगले वित्त वर्ष से भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) जैसी भारतीय रेलवे की विभिन्न इकाइयों द्वारा जारी बांडों के जरिए किया जाएगा. ऋण भुगतान व ब्याज पर पांच साल का स्थगन रहेगा.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यहां कहा, ‘एलआईसी ने भारतीय रेलवे की मदद करने का बीडा उठाया है. यह वाणिज्यिक फैसला है. एलआईसी पांच साल की अवधि में 1.5 लाख करोड रुपये का निवेश करेगी.’ इस आशय के सहमति पत्र पर आज भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) तथा रेल मंत्रालय ने हस्ताक्षर किए. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस समझौते को देश के दो प्रमुख संगठनों के बीच शादी जैसा गठबंधन करार दिया.
उन्होंने कहा कि यह समझौता इन दोनों संगठनों के लिए फायदे का सौदा होगा. एलआईसी के चेयरमैन एस के राय ने बताया कि इस समझौते के तहत एलआईसी अगले पांच साल में हर साल औसतन 30,000 करोड रुपये मूल्य के बांड खरीदेगी. एलआईसी को इस निवेश से मिलने वाले रिटर्न के सवाल पर राय ने कहा, ‘दर को अभी अंतिम रूप दिया जाना है. चूंकि यह वाणिज्यिक फैसला है इसलिए दोनों के लिए फायदे का सौदा रहेगा.’
प्रभु ने इस समझौते को रेलवे के लिए धन जुटाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम करार दिया. उन्होंने कहा, ‘लोग हमेशा ही पूछते हैं कि धन कहा हैं? धन यहां है और वह भी हनी (शहद) के साथ. क्योंकि यह धन जिस दर पर मिल रहा है वह एलआईसी व हमारे, दोनों के लिए अच्छा है.’ इसकी मदद से नकदी संकट से जूझ रही रेलवे के पास अपनी परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए धन होगा.
उन्होंने कहा, ‘रेलवे का लंबा इतिहास है. लेकिन रेलवे की वृद्धि को बल दिए जाने की जरुरत है. रेलवे का संचालन पेशेवर ढंग से होना चाहिए. रेलवे की गुणवत्ता में व्यापक सुधार की जरुरत है.’ एलआईसी के बारे में जेटली ने कहा, ‘यह बडा वाणिज्यिक संस्थान है और इस बात का उदाहरण है कि सार्वजनिक संस्थान पेशेवर ढंग से काम करते हुये इतने बडे, हो सकते हैं और देश के सेवा कर सकते हैं.’
भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी 15 लाख करोड रुपये के कोष का प्रबंधन करता है और यह विभिन्न निकायों को दीर्घकालिक राशि उपलब्ध कराना उसकी एक प्रमुख गतिविधि है.
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