नयी दिल्ली : दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज कहा कि वोडाफोन कर मामले को अलग ढंग से निपटाया जा सकता था लेकिन जोर देकर यह भी कहा कि भारत में समूचे कराधान परिदृश्य को केवल वोडाफोन मामले के साथ ही जोडकर नहीं देखा जाना चाहिये. प्रसाद का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि सरकार कर विवाद को लेकर एक और मध्यस्थता विवाद का सामना कर रही है. उन्होंने यहां एक कार्य्रकम में कहा, ‘मुझे पता है कि कराधान एक समस्या है.
मैं इस पर अपनी यह राय बताना चाहता हूं कि भारत में समूचे कराधान परिदृश्य को केवल वोडाफोन (कर मामले) के साथ ही शुरू या समाप्त नहीं माना जाना चाहिए, मैं जानता हूं कि वोडाफोन मामले को अलग तरह से देखा जा सकता था.’ उल्लेखनीय है कि ब्रितानी दूरसंचार कंपनी ब्याज सहित 11,200 करोड रुपये की कर देनदारी के मामले का सामना कर रही है. कंपनी ने 2007 में हचिसन एस्सार में हचिसन की हिस्सेदारी खरीदी थी.
इसी सप्ताह स्काटलैंड की तेल उत्खनन कंपनी केयर्न एनर्जी ने ब्रिटेन-भारत निवेश संधी के तहत मामला दर्ज कराया. यह मामला 10,247.36 करोड रुपये की कर मांग से जुडा है. वोडाफोन से जुडे दूसरे कर विवाद पर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती नहीं देने का फैसला किया है.
अदालत ने कंपनी के पक्ष में फैसला दिया था. मंत्री ने कहा कि भारत में कारोबार कर रही कंपनियों को समझना होगा कि उन्हें भारत में कर चुकाना होगा. प्रसाद ने कहा, ‘हमारा रुख बहुत स्पष्ट है कि कर प्रणाली स्थिर व विश्वसनीय होनी चाहिए लेकिन कारोबार करने वालों को भी यह समझना होगा कि उन्हें यहां कर चुकाना है.’