नरेंद्र मोदी का एलान, श्रीलंका में बनेगा पेट्रोलियम पदार्थों का बडा केंद्र
कोलंबो : श्रीलंका के त्रिंकोमाली शहर को पेट्रोलियम पदार्थों का एक बडा क्षेत्रीय केंद्रीय बनाने में भारत मदद करेगा. इंडियन ऑयल कार्पोरेशन और श्रीलंका के सिलोन पेट्रोलियम कार्पोरेशन के बीच इसके लिये समझौता हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यह बात कही. मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के बीच यहां हुई बैठक […]
कोलंबो : श्रीलंका के त्रिंकोमाली शहर को पेट्रोलियम पदार्थों का एक बडा क्षेत्रीय केंद्रीय बनाने में भारत मदद करेगा. इंडियन ऑयल कार्पोरेशन और श्रीलंका के सिलोन पेट्रोलियम कार्पोरेशन के बीच इसके लिये समझौता हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यह बात कही. मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के बीच यहां हुई बैठक के बाद इस समझौते और इसे लागू करने के लिए एक कार्यबल की घोषणा की गयी.
मोदी ने कहा ‘आज लंका आईओसी और सीलोन पेट्रोलियम कार्पोरेशन आपसी सहमति की शर्तों के आधार पर त्रिंकोमाली के चायना-बे परिसर में तेल भंडारण सुविधा विकसित करने पर सहमत हुए हैं.’ उन्होंने कहा ‘इसके तौर-तरीके सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त कार्यबल का गठन किया जाएगा. भारत त्रिंकोमाली को पेट्रोलियम का बडा क्षेत्रीय केंद्र बनाने में मदद करने के लिए तैयार है.’
आईओसी की श्रीलंका स्थित अनुषंगी लंका आईओसी निजी क्षेत्र की इकलौती तेल कंपनी जो सार्वजनिक क्षेत्र की सीलोन पेट्रोलियम कार्पोरेशन (सीपीसी) के अलावा यहां खुदरा पेट्रोलियम एवं डीजल पंपों का परिचालन करती है. लंका आईओसी श्रीलंका में करीब 150 पेट्रोलियम और डीजल पंपों का परिचालन करता है और यहां इसके कई तेल डिपो हैं जिसमें त्रिंकोमाली का तेल टर्मिनल भी शामिल है जो श्रीलंका का सबसे बडा पेट्रोलियम भंडारण केंद्र है.
इसके अलावा यहां लुब्रिकेंट मिश्रण संयंत्र भी है जिसकी क्षमता 18,000 टन सालाना है. साथ ही त्रिंकोमाली में ही एक आधुनिक लुब्रिकेंट परीक्षणशाला भी है. फिलहाल, इसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 43.5 प्रतिशत है. तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में आज प्रात: यहां पहुंचे मोदी ने कहा कि उन्हें सामपुर कोयला-बिजली परियोजना पर जमीनी काम जल्द शुरू होने का इंतजार है.
उन्होंने कहा ‘यह उल्लेखनीय परियोजना श्रीलंका की ऊर्जा जरुरतों को पूरा करेगी.’ मोदी ने रेल क्षेत्र के लिए 31.8 करोड डालर तक की नयी ऋण सुविधा की भी घोषणा की. मोदी ने कहा कि सामुद्रिक अर्थव्यवस्था में दोनों देशों के लिए विशाल संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा ‘सामुद्रिक अर्थव्यवस्था पर संयुक्त कार्यबल के गठन का फैसला विशेष तौर पर हमारी भौगोलिक निकटता की वजह से उल्लेखनीय है.’
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