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रिफॉर्म में सरकार की नाकामयाबी से 20 प्रतिशत तक गिर सकता है बाजार : मार्क फेबर

ग्लूम बूम एंड डूम बिजनेस न्यूजलेटर के प्रकाशक मार्क फेबर के अनुसार भारतीय शेयर बाजार में इस साल 10 से 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है. उन्‍होंने आशंका जतायी कि इस साल भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेशकों को ज्‍यादा लुभा नहीं पाएगा. एक बिजनेस अखबार द इकोनामिक्स टाइम्स को दिए अपने इंटरव्‍यू में मार्क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2015 1:28 PM
ग्लूम बूम एंड डूम बिजनेस न्यूजलेटर के प्रकाशक मार्क फेबर के अनुसार भारतीय शेयर बाजार में इस साल 10 से 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है. उन्‍होंने आशंका जतायी कि इस साल भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेशकों को ज्‍यादा लुभा नहीं पाएगा.
एक बिजनेस अखबार द इकोनामिक्स टाइम्स को दिए अपने इंटरव्‍यू में मार्क फेबर ने कहा कि भारतीय अर्थवयवस्‍था में रिफॉर्म को लेकर मोदी सरकार ने जो अबतक काम किया है वह अच्‍छा नहीं है. इस साल शेयर बाजार के रुख के बारे में पूछे जाने पर फेबर ने बताया कि आने वाले दिनों में शेयर बाजार में 10 से 20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.
अर्थव्यवस्‍था में सुधार को नरेंद्र मोदी सरकार की नीति का उल्‍लेख करते हुए फेबर ने कहा कि उनसे बाजार को काफी उम्‍मीदें हैं. लेकिन इस दिशा में अबतक उन्‍होंने जो काम किया है वह संतोषजनक नहीं है. इसका कारण उन्‍‍होंने खरासब सियासत, ब्‍यूरोक्रेसी और करप्‍शन को बताया.
मार्क फेबर ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्‍था कि तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्‍था अच्‍छा प्रदर्शन कर रही है. उन्‍होंने उम्‍मीद जतायी कि अमेरिकी फेडरल रि‍जर्व इस साल इंटरेस्‍ट रेट में बढ़ोतरी नहीं कर सकती है. फेबर ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्‍था फलहाल 5 प्रतिशत सालाना की रफ्तार से ग्रोथ कर रही है. लेकिन सरकार 8 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ का दावा कर रही है. इस फाइनेंसियल ईयर के अंतिम छह महीने में इंडस्‍ट्रीयल ग्रोथ ना के बराबर हुआ है. बावजूद इसके वैश्विक इकोनॉमी की अपेक्षा भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था आगे बढ़ रही है.
रिजर्व बैंक द्वारा ब्‍याज दर घटाए जाने पर मार्क फेबर ने कहा कि रघुराम राजन कड़े मॉनिटरी पॉलिसी को लेकर चल रहे हैं. इससे यूरो और येन की अपेक्षा भारतीय मुद्रा में तेजी आयी है. लेकिन उन्‍होंने यही भी आशंका जतायी कि जब राजन आरबीआइ के गवर्नर नहीं रहेंगे तो वक्‍त जरूरी नहीं कि अर्थव्‍यवस्‍था का रुख ऐसा ही हो. तब रुपये में गिरावट आ सकती है.
कच्‍चे तेलों के दाम में उन्‍होंने अबतक स्थायी ना हो पाने की बात पर जोर दिया. उन्‍होंने कहा कि कच्‍चे तेल का दाम 40 से 60 डॉलर के बीच जाकर स्थायी हो पाएगा.

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