मुंबई : वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने आज कहा कि सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में चुनिंदा आधार पर पूंजी डालने की पहल स्वागत योग्य कदम है लेकिन इस प्रक्रिया में पीछे छूट जाने वाले छोटे बैंकों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है. स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की वरिष्ठ निदेशक गीता चुघ ने एक कांफ्रेंस काल में कहा ‘हमारे विचार से दक्षता को प्रोत्साहन देना दीर्घकालिक स्तर पर अच्छी रणनीति है.
लेकिन अल्पकाल में इससे सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों में पूंजी का दबाव बढ सकता है.’ उन्होंने कहा ‘हमारा मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों को पूंजी जुटाने में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड सकता है, विशेष तौर पर तब जबकि उनके शेयरों की कीमत भी अच्छी नहीं है. उनके लिए अडचन खडी कर सकता है और संभवत: इनमें से कुछ बैंकों की वृद्धि को भी सीमित कर सकता है.’
पिछले महीने सरकार ने 6,990 करोड रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की थी जिसके तहत स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बडौदा, केनरा बैंक और पंजाब नेशनल बैंक जैसे नौ बेहतर प्रदर्शन करने वाले बैंकों को अन्य के मुकाबले तरजीह दी गई है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंदडा ने भी इस मामले को उठाया था और कहा था कि ऐसा करने से प्रक्रिया में छूटने वाले बैंकों के समक्ष समस्या आ सकती है.
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