सूचीबद्ध कंपनियों को महिला निदेशक रखने की सेबी ने दी चेतावनी, 1 अप्रैल तक का समय
मुंबई : पूंजी बाजार में प्रवेश को और व्यापक बनाने के लिए नियामक सेबी स्टार्ट-अप कंपनियों को प्रारंभिक सार्वजनिक शेयर निर्गम (आईपीओ) के जरिए धन जुटाने के बारे में एक नया दिशा-निर्देश लाएगा. साथ ही वह देश में पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) की स्थापना के लिए जल्दी ही नये दिशा-निर्देश जारी करेगा. नियामक […]
मुंबई : पूंजी बाजार में प्रवेश को और व्यापक बनाने के लिए नियामक सेबी स्टार्ट-अप कंपनियों को प्रारंभिक सार्वजनिक शेयर निर्गम (आईपीओ) के जरिए धन जुटाने के बारे में एक नया दिशा-निर्देश लाएगा. साथ ही वह देश में पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) की स्थापना के लिए जल्दी ही नये दिशा-निर्देश जारी करेगा.
नियामक ने स्वथ्य कंपनी संचालन के नियम निर्देश का अनुपालन नहीं करने वालों की भी आलोचना और सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशकों की नियुक्ति के निर्देश का पालन न करने वाली इकाइयों के फिलाफ सख्त कदम उठाने का संकेत दिया है.
सेबी अध्यक्ष यू के सिन्हा ने आज यहां कहा कि कंपनियों द्वारा अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति नहीं कर पाना बेहद शर्मनाक है. पिछले साल घोषित नए नियम के मुताबिक सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए एक अप्रैल से पहले अपने निदेशक मंडलों में कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति करना अनिवार्य है.
सिन्हा ने कहा कि यदि कंपनियां इसका अनुपालन नहीं करती हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना होगा और जुर्माना लगेगा. सेबी प्रमुख ने कहा ‘मुझे यह बेहद शर्मनाक लगता है कि इस देश में करीब 8,000-9,000 सूचीबद्ध कंपनियां एक महिला की तलाश नहीं कर सकतीं जो उनके निदेशक मंडल में स्थान पाने योग्य हो. यह बेहद शर्मनाक बात है.’
उन्होंने म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा अपने एजेंटों को भारी-भरकम राशि के भुगतान पर चिंता जाहिर की. साथ ही उन्होंने धन जुटाने के लिए हाल में बने रीयल एस्टेट निवेश न्यास (रीट) को बढावा देने से जुडी पहलों पर विचार करने का वायदा किया. सेबी द्वारा रीट पर आयोजित सम्मेलन में सिन्हा ने कहा कि कई समूह ऐसे कोष पेश करने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन उनमें से कुछ ने कुद कराधान संबंधी मुद्दे उठाए हैं जिन्हें सेबी ने सरकार के सामने रखा है.
सिन्हा ने इस समारोह के मौके पर कई विषयों पर बात की और कहा कि गुजरात के गिफ्ट (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी) सिटी में देश के पहले आईएफएससी की स्थापना का दिशा-निर्देश एक अप्रैल से पहले लागू किया जाएगा और इस संबंध में आरबीआई तथा वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा जारी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार के अपने बजट में घोषणा की थी कि गुजरात में गिफ्ट सिटी की स्थापित की जाएगी.
जेटली रविवार, 22 मार्च को राजधानी में सेबी और आरबीआई के निदेशक मंडलों को अलग-अलग संबोधित करेंगे. उम्मीद है कि वह उसमें बजट में किये गये विभिन्न प्रावधानों के बारे में बात करेंगे जो संबंधित नियामकों के क्षेत्राधिकार से जुडे हैं. एक अन्य बजट प्रस्ताव के बारे में सिन्हा ने कहा कि जिंस नियामक एफएमसी के सेबी के साथ विलय की प्रक्रिया चल रही है और दोनों नियामक इस संबंध में वित्त मंत्रालय से सहयोग कर रहे हैं. इनमें से कुछ मुद्दों पर इस रविवार को होने वाली बैठकों में चर्चा हो सकती है.
स्टार्ट-अप आईपीओ के संबंध में सिन्हा ने कहा कि सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया के बाद अंतिम दिशानिर्देश अगले तीन से चार महीने में तैयार होजानी चाहिए. यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. नियामक ने स्टार्ट-अप और ई-वाणिज्य कंपनियों द्वारा आईपीओ से जुडे मुद्दों पर चर्चा की है और उसका मानना है कि ऐसी कंपनियों को भारत में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. सिन्हा ने कहा कि सेबी 28 मार्च को स्टार्टअप कंपनियों के साथ बैठक करेगा.
सिन्हा ने कहा ‘हम चाहते हैं कि हमारी कंपनियों विदेश में शेयर सूचीबद्ध कराने के लिए मजबूर होने के बजाय भारत में सूचीबद्ध हों. ऐसा हो सकता है कि उनके लिए कुछ नियम तय किए जाएं क्योंकि उनका कारोबारी माडल विशेष किस्म का है.’ ऐसी खबर आई है कि देश की सबेस बडी ई-वाणिज्य कंपनी फ्लिपकार्ट अमेरिका में सूचीबद्ध होने पर विचार कर रही है. रीट के संबंध में सिन्हा ने कहा कि इस कारोबारी ढांचे को लोकप्रिय होने में अमेरिका में भी लंबा वक्त लगा.
सिन्हा ने कहा ‘मुझे लगता है कि नियम लागू होने बाद भी रीट के लिए बाजार में उत्साह बहुत कम है.’ उन्होंने कहा ‘मुझे उम्मीद है कि हम यह पता लगाने और विश्लेषण करने की कोशिश करेंगे कि ऐसा क्यों है. मैं निराश नहीं हूं क्योंकि यदि अमेरिका के आंकडे पर ध्यान दे तो पहले कुछ साल सीखने का दौर था. वृद्धि 5-6 साल बाद ही हो सकी.’
बाजार नियामक ने पिछले साल रीट के लिए अगले नियामकीय प्रणाली लागू की थी जबकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले महीने पेश आम बजट में इन निवेश निकायों के लिए अनुकूल कर प्रणाली की घोषणा की है. म्यूचुअल फंड कंपनियों के संबंध में सिन्हा ने कहा कि म्यूचुअल फंड एजेंट को कमिशन की राशि सीमित करने की जरुरत है.
उद्योग के आंकडों के मुताबिक कुछ बैंकों को एक म्यूचुअल फंड कंपनी से 50 प्रतिशत से अधिक ब्रोकरेज कमिशन मिलता है जिससे संकेत मिलता है कि चुनिंदा म्यूचुअल फंड कंपनियों का विशेष फोकस है जो मुख्य तौर पर उनके अपने समूह की इकाइयां होती हैं.
बिक्री पेशकश के जरिए द्वितीयक बाजार में शेयरों का कारोबार बंद करने के सुझाव के संबंध में सिन्हा ने कहा कि इस मुद्दे को ठीक तरीके से समझने की जरुरत है. उन्होंने कहा ‘हमें यह समझना है कि द्वितीयक बाजार हस्तांतरण क्या है और प्राथमिक बाजार हस्तांतरण क्या है. हालांकि हम मंत्रालय के साथ वार्ता कर रहे हैं.’
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