प्रधानमंत्री कार्यालय ने एयर इंडिया से कार्य प्रदर्शन रिपोर्ट मांगी

नयी दिल्ली : एयर इंडिया की समग्र वित्तीय स्थिति से चिंतित प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस सरकारी एयरलाइंस से अपने नफे-नुकसान की स्थिति और पुनरोद्धार योजना की प्रगति पर विस्तृत कार्य रिपोर्ट मांगी है. हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन ने इन सवालों को नियमित प्रक्रिया करार दिया है. एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2015 9:41 AM

नयी दिल्ली : एयर इंडिया की समग्र वित्तीय स्थिति से चिंतित प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस सरकारी एयरलाइंस से अपने नफे-नुकसान की स्थिति और पुनरोद्धार योजना की प्रगति पर विस्तृत कार्य रिपोर्ट मांगी है. हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन ने इन सवालों को नियमित प्रक्रिया करार दिया है. एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पीएमओ की यह कार्रवाई ‘रुटीन प्रक्रिया’ है. अधिकारी ने कहा कि एयरलाइन ने पहले ही इन सवालों का जवाब दे दिया है.

पीएमओ ने एयर इंडिया को कुछ सवाल भेजे हैं. इसमें अन्य बातों के अलावा उसकी बढती वित्तीय देनदारी व मुनाफा न होने के बारे में ब्योरा मांगा गया है. एयरलाइन से अपनी पुनरोद्धार योजना के बारे में भी ब्योरा देने को कहा गया है. एयरलाइन के अधिकारी ने कहा, ‘पीएमओ द्वारा भेजे गए सवाल नियमित तौर पर किये जाने वाले सवाल हैं और ये सार्वजनिक क्षेत्र की सभी घाटे में चल रही कंपनियों को भेजे गए हैं.

ये मुख्य रूप से कंपनी की मुनाफे में लौटने की क्षमता और भविष्य की कारोबारी योजनाओं पर हैं. और क्या कंपनी रणनीतिक क्षेत्र में है. हमने इनका जवाब दे दिया है.’ एयर इंडिया पर करीब 40,000 करोड रुपये के ऋण का बोझ है और उसका संचयी नुकसान इस समय 30,000 करोड रुपये पर पहुंच चुका है. एयर इंडिया पुनरोद्धार योजना के तहत मिले राहत पैकेज पर बाजार में टिकी हुई है.

एयरलाइन ने 2013-14 में ऋण पर 4,000 करोड रुपये का ब्याज दिया है. उसका राजस्व 18,000 करोड रुपये रहा. सरकार के मुताबिक, एयर इंडिया का कुल नुकसान 2013-14 में 5,388 करोड रुपये, 2012-13 में 5,490 करोड रुपये व 2011-12 में 7,559 करोड रुपये रहा. हालांकि, एयर इंडिया के निजीकरण की मांग उठती रही है, लेकिन सरकार ने इसकी संभावना को खारिज कर दिया है.

ऐसी खबरें आयी थीं कि बोली लगाने वाली कुछ कंपनियां संबंधित खानों के दाम नीचे रखने के लिए साठगांठ करने में लगी थीं. स्वरुप ने पहले कहा था, ‘अनुसूची-दो में हम चार खानों पर विचार कर रहे थे जबकि अनुसूची-तीन में हम पांच खानों पर गौर कर रहे थे. प्रथम दृष्टया हमने पाया कि पुनरीक्षण की जरुरत है इसलिए पुनरीक्षण किया गया और बस यही मामला है.’

अनुसूची-दो (उत्पादन करने वाली खान) में जिन चार कोयला ब्लॉकों की बोलियों का पुनरीक्षण चल रहा था, उनमें गारे पाल्मा चार-2, गारे पल्मा चार-3, गारे पल्मा चार-1 और मरकी मंगली-3 शामिल हैं. बी एस इस्पात ने मरकी मंगली-3 खान की बोली हासिल की थी. अनुसूची-तीन की खानों (उत्पादन के लिए तैयार खानें) में सफल बोलीदाताओं की सूची में जिन कोयला ब्लाक को शामिल नहीं किया गया हैं उनमें बृंदा एवं ससाई खान (दोनों खानों के लिए एक बोली आमंत्रित की गयी थी), मेराल खान, डुमरी खान, तारा खाना और मांडला साउथ खान हैं.

कोयला सचिव ने कहा था कि यह साठगांठ है या नहीं, इस पर फिलहाल मैं कुछ नहीं कह सकता. हम निश्चित ही इस पहलू पर गौर नहीं कर रहे, हम देख रहे हैं कि क्या इसके लिये कोई और वजह है और उसके बाद हम इसे देखेंगे. अब तक 33 कोयला ब्लॉकों की नीलामी हुई है. पहले दौर में 19 कोयला ब्लॉक नीलाम हुए जबकि दूसरे दौर में 14 कोयला ब्लॉक नीलाम किये गये.

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