बैंक कर्ज प्रसंस्करण का काम दूसरों के हवाले नहीं करें : रिजर्व बैंक
नयी दिल्ली: फंसे कर्ज के बढते मामलों से चिंतित रिजर्व बैंक ने आज बैंकों को अपनी कर्ज प्रसंस्करण गतिविधियां किसी तीसरे पक्ष के हवाले (आउटसोर्स) करने के प्रति आगाह किया है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंदडा ने यहां वाणिज्य एवं उद्योग संगठन ऐसोचैम के एक समारोह में कहा ‘‘हम बैंकों को इस […]
नयी दिल्ली: फंसे कर्ज के बढते मामलों से चिंतित रिजर्व बैंक ने आज बैंकों को अपनी कर्ज प्रसंस्करण गतिविधियां किसी तीसरे पक्ष के हवाले (आउटसोर्स) करने के प्रति आगाह किया है.
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंदडा ने यहां वाणिज्य एवं उद्योग संगठन ऐसोचैम के एक समारोह में कहा ‘‘हम बैंकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि वह अपनी गैर-प्रमुख गतिविधियां दूसरों के हवाले कर सकते हैं .. और आपको बता दूं कि ऋण प्रसंस्करण गैर-प्रमुख गतिविधि नहीं है.
मैं कहना चाहूंगा कि यह बैंकों का सबसे मुख्य कार्य है.’’ उन्होंने कहा ‘‘यदि ऋण प्रसंस्करण को भी आउटसोर्स किया जाता है तो मुझे लगता है कि इससे वैसी ही स्थिति पैदा होगी जो हम आज देख रहे हैं.’’ रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध आंकडों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए (गैर-निष्पादक आस्तियां) दिसंबर 2014 तक 2,60,531 करोड रुपए हो गया था. इसके अलावा सितंबर 2014 के अंत तक 10 करोड रुपए या इससे अधिक फंसे कर्ज की संख्या 2,897 रही जिन पर 1.60 लाख करोड रुपए का बकाया कर्ज है.
अविवेकी और गैर-सहकारी कर्जदारों और जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के बारे में मुंदडा ने कहा ‘‘समय पर कर्ज अदायगी नहीं करने वालों के खिलाफ जल्द से जल्द हरसंभव कार्रवाई और वसूली प्रक्रिया जल्द पूरी करना महत्वपूर्ण है.’’ उन्होंने कहा ‘‘इस पर नियंत्रण के लिए कई कोशिशें हो रही हैं जिसमें केंद्रीय धोखाधडी पंजीकरण कार्यालय की स्थापना शामिल है जिससे बैंकों को धोखा देने वाली इकाइयों से जुडी सूचना तेजी से साझा की जा सकेगी.’’ मुंदडा ने कहा कि रिजर्व बैंक और आईबीए (भारतीय बैंक संघ) ने मिलकर अपनी ओर से सभी तरह की धोखाधडियों के संबंध में सतर्कता संबंधी सुझाव दिए हैं.
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