नये वित्तीय वर्ष में मिल सकता है तोहफा, बैंक घटा सकते हैं ब्याज दर
।। अमलेश नंदन ।। एक वित्तीय वर्ष में दो बार रेपो रेट में कटौती कर रिजर्व बैंक से सभी बैंकों को ब्याज दरें घटाने का अवसर दे दिया है. दो बार में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में लगभग आधा फिसदी की कटौती कर दी है. इसके बावजूद अभी तक किसी भी बैंक ने अपने […]
।। अमलेश नंदन ।।
एक वित्तीय वर्ष में दो बार रेपो रेट में कटौती कर रिजर्व बैंक से सभी बैंकों को ब्याज दरें घटाने का अवसर दे दिया है. दो बार में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में लगभग आधा फिसदी की कटौती कर दी है. इसके बावजूद अभी तक किसी भी बैंक ने अपने ब्याज दरों में कटौती की घोषणा नहीं की है. इसके कारण कारर्पोरेट घरानों सहित बड़े व्यापारिक बैंकों से लोन नहीं ले रहे हैं. इससे बैंकों के टारगेट मिस कर रहे हैं. अब बैंकों के पास मौका है कि वे अपनी ब्याज दरों में कटौती कर ग्राहकों को आकर्षित करें और लोन ग्रोथ करें.
वैसे देखा जाए तो अभी मार्च के महीनेमें क्लोजिंग की वजह से बैंकों का कामकाज तो प्रभावित होता ही है, वे अन्य बातों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं. राष्ट्रीयकृत बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावना तो व्यक्त की गयी है, लेकिन अभी तक इसकी तिथि की कोई घोषणा नहीं की गयी है. उम्मीद जतायी जा रही है नये वित्तीय वर्ष में बैंक अपने ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं. इसका लाभ ग्राहकों को नये वित्तीय वर्ष के पहले सप्ताह में मिलने की उम्मीद है.
प्रमुख बैंक स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने दूसरी बार रिजर्व बैंक की ओर से रेट कट के बाद आश्वासन दिया था कि जल्द ही सभी बैंक आपस में बातचीत कर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं. किसी भी समय असकी घोषणा की जा सकती है. हालांकि उन्होंने ब्याज दरों में कटौती के लिए कोई निश्चित समय नहीं बताया था लेकिन उनका इशारा वित्त वर्ष 2015-16 था.
कुछ बैंकों ने मियादी जमा पर कम कर दी ब्याज दरें
निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंक आइसीआइसीआइ बैंक तथा एचडीएफसी बैंक ने अत्यधिक राशि की मियादी जमाओं पर ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. यह कटौती चुनिंदा सावधि जमाओं पर की गयी है. यह कर्ज पर निम्न ब्याज दर के पहले का कदम हो सकता है. सूत्रों के अनुसार आइसीआइसीआइ बैंक ने एक करोड रुपये से अधिक की जमा पर ब्याज दर 0.25 प्रतिशत कम की है. 121 से 150 दिन की परिपक्वता अवधि वाली मियादी जमा राशि पर ब्याज दर अब 8.25 प्रतिशत से कम कर 8 प्रतिशत कर दी गयी है. 61 से 90 दिन के लिये पांच करोड रुपये और उससे अधिक की मियादी जमा पर ब्याज दर भी 8.25 प्रतिशत से कम कर 8 प्रतिशत की गयी है.
इसी प्रकार आइसीआइसीआइ बैंक ने 91 से 120 दिन की मियादी जमा पर ब्याज दर 8 प्रतिशत करने का निर्णय किया है. निजी क्षेत्र का दूसरे सबसे बडे बैंक एचडीएफसी बैंक ने भी 5 करोड और उससे अधिक की मियादी जमाओं पर ब्याज दर कम की है. नयी दरें 31 मार्च से ही प्रभावी हो गयी है. इससे पहले, एक्सिस बैंक ने भी मियादी जमा पर ब्याज दर में कमी की थी. रिजर्व बैंक ने चार मार्च को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी. उसके बाद से बैंक जमा पर देय ब्याज दर कम कर रहे हैं. यह कर्ज पर निम्न ब्याज दर के पहले का कदम हो सकता है.
रिजर्व बैंक फिर से घटा सकता है रेट कट
सात अप्रैल को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक है. इसमें रेट कट की कोई संभावना तो नहीं है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जून तक रिजर्व बैंक रेपो रेट में फिर से 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. डीबीएस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में सुधार होने के परिणाम स्वरुप रिजर्व बैंक के लिए रेट कट आसान हो गया है.
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने मार्च में आश्चर्यजनक तरीके से नीतिगत ब्याज दर 0.25 प्रतिशत कर 7.5 प्रतिशत कर दिया था. इससे पहले, जनवरी में भी 0.25 प्रतिशत की कटौती की गयी थी. एडीबी की रिपोर्ट के अनुसार जून तक जरुर रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कटौती का अनुमान है और उसके बाद 2015 की दूसरी छमाही में अमेरिकी में ब्याज दर बढने से इस पर कुछ विराम लग सकता है.
सरकार को भी रेट कट की है उम्मीद
रिजर्व बैंक की सालाना मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ दिनों पूर्व कहा कि भारत को ऊंची वृद्धि के लिए कम ब्याज दरों की दरकार है और भविष्य में निश्चित तौर पर दरों में और कटौती की जाएगी. उन्होंने कहा कि रेट कट से उधारी की लागत में कमी आएगी.
जेटली ने कहा, ‘मुझे पक्का विश्वास है कि भविष्य में हमें दरों में और कटौती देखने को मिलेगी. लेकिन आज की तारीख में यदि आप मुझसे पूछें कि कब और कितनी तो यह आरबीआई के अधिकार क्षेत्र में है और मैं यह उन पर छोडता हूं.’ वित्त मंत्री ने बैंकों की ओर से ब्याज दरों में कटौती नहीं किये जाने पर चिंता जतायी है. उन्होंने उम्मीद जताया है कि वित्त वर्ष 2015-16 में बैंकों के ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है.
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