महंगे स्पेक्ट्रम खरीद के बाद टेलीकॉम कंपनियां महंगी कर सकती हैं कॉल दरें

मुंबई : महंगे स्प्रेक्ट्रेम बिक्री के बाद इस बात की संभावना बढ गयी है कि आगामी दिनों में टेलीकॉम कंपनियों आपके कॉल रेट की दरें बढायेंगी. हालांकि सरकार नहीं चाहती है कि टेलीकॉम कंपनियों ग्राहकों की जेब पर बोझ बढायें. सरकार की दलील है कि भले ही कंपनियों ने महंगा स्पेक्ट्रेम खरीदा हो, लेकिन यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2015 1:16 PM
मुंबई : महंगे स्प्रेक्ट्रेम बिक्री के बाद इस बात की संभावना बढ गयी है कि आगामी दिनों में टेलीकॉम कंपनियों आपके कॉल रेट की दरें बढायेंगी. हालांकि सरकार नहीं चाहती है कि टेलीकॉम कंपनियों ग्राहकों की जेब पर बोझ बढायें. सरकार की दलील है कि भले ही कंपनियों ने महंगा स्पेक्ट्रेम खरीदा हो, लेकिन यह उनका एक दीर्घकालिक निवेश है और वे बाजार से भी पैसे जुटा सकते हैं. ध्यान रहे कि पिछले दिनों टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी यह उम्मीद जतायी थी कि काल दरें महंगी नहीं होंगी. हालांकि सरकार यह मानती है कि इससे टेलीकॉम ऑपरेटरों पर 5300 करोड रुपये का सालाना दबाव पडेगा और इससे प्रति मिनट कॉल पर 1.3 पैसा अधिक खर्च आयेगा. यानी कंपनियां अगर रेट बढायेंगी भी तो वह प्रति मिनट कॉल पर 1.3 पैसे से अधिक नहीं होंगी.
टेलीकॉम कंपनियों का स्पेक्ट्रम में बडा निवेश
देश की सात प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों ने पिछले दिनों स्पेक्ट्रम की खरीद की. एक लाख नौ हजार करोड के स्पेक्ट्रम की सरकार द्वारा नीलामी की गयी. स्पेक्ट्रम खरीद की सर्वाधिक बोली आइडिया सेलुलर ने लगायी है. उसने 30306 करोड रुपये इसमें निवेश किया है. उसके बाद भारती एयरटेल ने 29130 करोड रुपये निवेश किया है. वोडाफोन ने स्पेक्ट्रम में 25959 करोड रुपये, रिलायंस जियो ने 10 हजार करोड, टाटा टेलीकॉम ने 7851 करोड व एयरसेल ने 2250 करोड इसमें लगाये हैं. ऐसे में इस मद में सबसे ज्यादा निवेश करने वाली कंपनी आइडिया की दलील है कि महंगी स्पेक्ट्रम खरीद के कारण कॉल दरें महंगी करना कंपनियों की मजबूरी हो जायेगी. आइडिया के एमडी हिमांशु कपानियां ने यह बात कही है. वहीं, टेलीकॉम सचिव राकेश गर्ग का कहना है कि कंपनियां बाजार से पैसे जुटा सकती हैं और ग्राहकों पर बोझ डालने से बच सकती हैं.
विस्तार के लिए जरूरी है पैसा
टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि उन्हें अपना विस्तार करने के लिए अधिक पैसे की जरूरत है. महंगे स्पेक्ट्रम खरीद के कारण उनके लिए यह और आवश्यक हो गया है. फिलहाल टेलीकॉम कंपनियों को 85 प्रतिशत रेवन्यू कॉल दरों से प्राप्त होता है, जबकि 15 प्रतिशत रेवन्यू डेटा से प्राप्त होता है. हालांकि डेटा से रेवेन्यू कलेक्शन आने वाले दिनों में 20 प्रतिशत हो जायेगा. तीन प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल, आइडिया व वोडाफोन ने 77 प्रतिशत निवेश स्पेक्ट्रम खरीद है. कंपनियों का यह निवेश अगले 20 सालों के लिए है. भले ही ये कंपनियों अभी महंगी खरीद की बात कह रही हों, लेकिन यह इनकी दूरदृष्टि है, क्योंकि आने वाले दिनों इ गवर्नेस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया मिशन को सफल बनाने में इनकी कारोबार खूब फलेगा.

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