मौसम की मार, फसल बर्बाद, इस साल हाे सकता है गेहूं का रिकार्ड आयात

नयी दिल्‍ली : देशभर में हो रही बेमौसम बरसात की वजह से गेहूं फसल को काफी नुकसान हो सकता है. हालांकि सरकार इस बात को मानने के लिए अभी तैयार नहीं है. सरकार का दावा है कि फसले बर्बाद तो होंगी लेकिन उसका अनुपात उतना नहीं होगा कि हमें विदेशों से गेहूं का आयात करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2015 4:59 PM

नयी दिल्‍ली : देशभर में हो रही बेमौसम बरसात की वजह से गेहूं फसल को काफी नुकसान हो सकता है. हालांकि सरकार इस बात को मानने के लिए अभी तैयार नहीं है. सरकार का दावा है कि फसले बर्बाद तो होंगी लेकिन उसका अनुपात उतना नहीं होगा कि हमें विदेशों से गेहूं का आयात करना पड़े.

वहीं राइटर्स में छपी खबर के अनुसार सरकार 2010 के बाद सबसे बड़ी डील के तहत गेहूं का रिकार्ड आयात कर सकती है. इसका केवल एक कारण बेमौसम बरसात ही है जिसकी वजह से कई राज्‍यों की गेहूं फलस लगभग बर्बाद हो चुकी है. न्‍यूज एजेंसी ने दावा किया है कि भारत इस साल ऑस्‍ट्रेलिया से 80,000 टन गेहूं आयात कर सकता है.

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हालांकि खबर यह आ रही है कि आटा मिलों की ओर से 70,000 से 80,000 टन आस्‍ट्रेलियाई प्राइम गेहूं के आयात कर तैयारी में है. अप्रैल-मई में भारत लाने के लिए इसका आर्डर भी दिया जा चुका है. इस आयात में 260 से 265 डालर प्रति टन का खर्च आएगा.भारतीय मिलों ने यह कदम बेमौसम बरसात में फसलों की बर्बादी के कारण उठाया है.

मिल मालिकों की ओर से बताया जा रहा है कि बारिश की वजह से गेहूं के उत्‍पादन में अग्रणी राज्‍यों में फलस पूरी तरह बर्बाद हो गये है, तथा आने वाले दिनों में और बारिश की आशंका से किसान भी सशंकित है. इसके बावजूद फसलों को बचाने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता है.

गौरतलब है कि भारत ने 2010 में इसी तरह की घटना के बाद 200,000 टन गेहूं का आयात किया था. यह आंकड़ा कृषि विभाग की ओर से जारी किया गया है. अधिकारियों की मानें तो अभी फसलों को होने वाले बर्बादी का आकलन करना मु‍श्किल है, जबकि 10 लाख हेक्‍टेयर की फसलें लगभग बर्बाद हो चुकी हैं.

सरकार की दोहरी नीति

सरकार एक ओर तो दावा करती है कि हमें इस साल फसलों का आयात नहीं करना पड़ेगा. लेकिन मौसम की गड़बड़ी के कारण फिर से सकार का दावा फेल होने की कगार पर है. सरकार की मानें तो हाल में बेमौसम बारिश से गेहूं की खड़ी फसल को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है और वर्ष 2015-16 में गेहूं का उत्पादन पिछले साल के रिकॉर्ड उत्पादन 9.58 करोड़ टन के स्तर को पार कर जाएगा.

कृषि सचिव सिराज हुसैन ने मार्च के दूसरे सप्‍ताह में कहा था कि गेहूं की फसल को नुकसान कुछ इलाकों में ही हुआ है. तापमान कम होने से उत्पादकता में सुधार होगा. उन्‍होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस साल गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन रहेगा. मेरा खुद का आकलन है कि इस साल गेहूं का उत्पादन बहुत अच्छा रहेगा और यह पिछले साल से ज्यादा रह सकता है.’

देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य पंजाब के कृषि विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने भी कहा था कि हाल की बेमौसम बारिश से 3,000 करोड़ रुपये की गेहूं की फसल बरबाद हुई है. पंजाब के कृषि मंत्री सरदार तोता सिंह के हवाले से कहा गया, ‘राज्य और केंद्रीय एजेंसियां राज्य से 15,000 करोड़ रुपये के गेहूं की खरीद करती हैं. ऐसा लगता है कि गेहूं की करीब 15 से 20 फीसदी फसल को नुकसान पहुंचा है,

जिससे करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.’ पंजाब भारत का प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य है. सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि वर्ष 2015-16 में देश में गेहूं का कुल उत्पादन 9.67 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले साल के उत्पादन 9.58 करोड़ से मामूली अधिक है.

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फसलों की बर्बादी एक नजर में

गैर सरकारी संगठनों ने कुछ आंकड़ें जारी की हैं. इनके आधार पर देखा जाए तो गेहूं फसल की बर्बादी 90 फिसदी से अधिक हो चुकी है. जबकि मौसम की मार अभी भी बदस्‍तूर जारी है. पंजाब में 6000 एकड़ रकबे में खड़ी फसल बर्बाद हुई है तथा गेहूं की उपज में 10 से 15 प्रतिशत तक कमी आ सकती है.

इंजन से भी खेतों में खड़ा पानी निकालने की कोशिशें कई जगह नाकाम रहीं और ऊपर से बर्बाद हुई फसल को कटवाने पर भी 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से खर्च आएगा. राजस्थान के 26 जिलों के 4247 गांवों में 14.5 लाख एकड़ फसल तबाह हुई है. वहां के किसानों का कहना है कि पिछले 50 वर्षों में उन्होंने इस तरह की भारी तबाही नहीं देखी.

उत्तर प्रदेश में लगभग 27 लाख एकड़, महाराष्ट्र में 7.5 लाख एकड़, पश्चिम बंगाल में 50,000 एकड़ फसल बर्बाद हुई है. झारखंड के कुछ जिलों में भी लगभग 30 प्रतिशत फसल नष्टï हो गई है. उत्तर प्रदेश में आलू की 70 प्रतिशत और गेहूं की 50 प्रतिशत फसल बर्बाद हुई है जबकि मध्य प्रदेश में 15 जिलों के 1400 गांवों की पूरी फसल तबाह हो गई है.

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