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कुल निर्यात में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से बढेगी : वाणिज्य मंत्रालय

नयी दिल्ली : सरकार को अगले पांच साल में भारत के कुल वस्तु एवं सेवा निर्यात में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से बढने की उम्मीद है. वस्तु एवं सेवा निर्यात के लिए हाल ही में घोषित विदेश व्यापार नीति में 900 अरब डालर का लक्ष्य तय किया गया है. वाणिज्य मंत्रालय के एक […]

नयी दिल्ली : सरकार को अगले पांच साल में भारत के कुल वस्तु एवं सेवा निर्यात में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से बढने की उम्मीद है. वस्तु एवं सेवा निर्यात के लिए हाल ही में घोषित विदेश व्यापार नीति में 900 अरब डालर का लक्ष्य तय किया गया है. वाणिज्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा ‘हमें उम्मीद है कि नयी नीति में सेवा क्षेत्र के प्रोत्साहन के ढांचे में बदलाव के मद्देजर सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहेगा. हमें उम्मीद है कि उनकी हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से बढेगी.’

वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान भारत का सेवा निर्यात 151.5 अरब डालर रहा जबकि वस्तु निर्यात 314 अरब डालर रहा. उन्होंने कहा ‘हमने पांच साल की अवधि के लिए वस्तु एवं सेवा निर्यात के लिए 900 अरब डालर का लक्ष्य रखा है. हमने जानबूझ कर वस्तु एवं सेवा निर्यात में इसे नहीं बांटा है. दोनों क्षेत्रों को एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने दें.’ नयी विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार ने भारत से सेवा निर्यात योजना (एसइआइएस) की घोषणा की है. इसके तहत सरकार निर्यातकों को शुल्क पावती-पत्र प्रदान किया जाएगा.

यह पावती एक तरह का प्रमाणपत्र होगी जिसका उपयोग सीमाशुल्क, सेवा शुल्क और उत्पाद शुल्क समेत विभिन्न शुल्कों के भुगतान के लिए किया जाएगा. अधिकारी की टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है कि विश्व के कुल सेवा निर्यात में भारतीय सेवा निर्यात की हिस्सेदारी लगतार तेजी से बढती जा रही है जो 1990 में 0.6 प्रतिशत थी और 2000 में बढकर एक प्रतिशत और 2013 में यह 3.3 प्रतिशत हो गयी.

राष्ट्रीय और राज्य की आय में योगदान और व्यापार प्रवाह एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह के लिहाज से सेवा क्षेत्र भारत में उल्लेखनीय क्षेत्र बनकर उभरा है. देश के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान करीब 58 प्रतिशत और रोजगार में इसकी हिस्सेदारी 28 प्रतिशत है. कुल व्यापार में इसका योगदान 25 प्रतिशत निर्यात में करीब 35 प्रतिशत और आयात में 20 प्रतिशत है. विदेशी व्यापार नीति दस्तावेज के मुताबिक पिछले देश में सेवा व्यापार में बढोतरी से वसतु व्यापार घज्ञटा के बडे हिस्से की भरपाई करने में मदद मिली है और इस तरह चालू खाते के घाटे पर लगाम लगी है.

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