22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

केंद्र ने खाद्य कानून लागू करने की समयसीमा छह माह बढायी

जयपुर : केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) लागू करने के लिए राज्यों को छह महीने का और समय दिया है. खाद्य कानून लागू करने के लिए समयसीमा को पहले ही दो बार बढाया जा चुका है और आखिरी बार बढायी गयी सीमा कल […]

जयपुर : केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) लागू करने के लिए राज्यों को छह महीने का और समय दिया है. खाद्य कानून लागू करने के लिए समयसीमा को पहले ही दो बार बढाया जा चुका है और आखिरी बार बढायी गयी सीमा कल चार अप्रैल को समाप्त हो रही थी. केवल 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू किया है जिसे संसद ने सितंबर 2013 में पारित किया था.

शेष 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक इसे लागू नहीं किया है. पासवान ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘केंद्र सरकार ने राज्यों को एनएफएसए लागू करने के लिए आगे और छह महीने का समय दिया है.’ इस कानून का ध्येय देश की दो तिहाई आबादी को एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर से प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो सब्सिडीप्राप्त खाद्यान्न प्राप्त करने की कानूनी अर्हता प्रदान करना है. केंद्र सरकार ने यह कानून लागू नहीं करने वाले राज्यों को सख्त चेतावनी दी थी कि अगर वे अप्रैल की समयसीमा को पाने में विफल रहते हैं जो सब्सिडीप्राप्त एपीएल खाद्यान्न की आपूर्ति को रोक देगी.

मौजूदा समय में केंद्र सरकार 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने को नये खाद्य कानून के अनुरुप खाद्यान्नों का आवंटन कर रही है जबकि शेष को पहले के पीडीएस मानदंड के अनुरुप खाद्यान्न का कोटा प्राप्त हो रहा है. समय सीमा दो बार बढाये जाने के बावजूद केवल 11 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली और चंडीगढ ने अभी तक इस कानून को लागू किया है. कुछ ने इसे पूरी तरह से, जबकि कुछ आंशिक रूप से लागू किया है.

पासवान ने कहा कि पीडीएस के राशन का समुचित वितरण हो, केंद्र सरकार ने आनाज पर प्रति क्विंटल 87 रुपये की नकद राशि देने का भी फैसला किया है. इस राशि में केंद्र और राज्य बराबर-बराबर योगदान करेंगे. मंत्री ने कहा कि खाद्यान्नों को रखने के लिए गोदामों में पर्याप्त जगह है और एफसीआई के गोदाम में 18 माह से अधिक पुराना स्टाक नहीं होगा. केवल राजस्थान में ही भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के पास 22 लाख टन की भंडारण क्षमता है जबकि प्रदेश सरकार ने 232 खरीद केंद्रों को खोला है.

बेमौसम बरसात के कारण फसल की बर्बादी का किसानों पर प्रभाव के बारे में पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार उत्तरी राज्यों में स्थिति की समीक्षा कर रही है और मानवीय आधार पर उनकी मांगों पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा राहत कोष के मानदंडों में ढील दिये जाने की मांग पर विचार कर रही है ताकि जिन किसानों की 25 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हुए हैं उनको भी इसके दायरे में लिया जा सके.

राजस्थान सरकार ने पहले मांग की थी कि हाल की बरसात और ओलावृष्टि के कारण जिनकी रबी (जाडे) की फसल बर्बाद हुई उन किसानों को मुफ्त आपूर्ति के लिए एक लाख टन गेहूं दी जाये और अब उसने इस मांग को बढाकर 4.85 लाख टन कर दिया है. यह पूछे जाने पर क्या केंद्र सरकार उन किसानों को कोई राहत देगी जिनकी फसल 25 प्रतिशत तक बर्बाद हुई है, पासवान ने कहा कि खरीद में पौष्टिकता के आधार पर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त खाद्यान्न के मामले में छूट देने का एक प्रस्ताव है.

उन्होंने यह भी कहा कि एफसीआइ जैसी खरीद एजेंसियां आनाज के स्तर का आकलन कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में भी गुणवत्ता मानदंड में ढील के नियमों को अपनाया गया था और मामले का आकलन किया जा रहा है. राजस्थान के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग हेमसिंह भडना ने कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केंद्र से प्रभावित किसानों को अधिकतम राहत प्रदान करने और 4.85 लाख टन मुफ्त गेहूं प्रदान करने को कहा गया है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें