खाद्य महंगाई की वजह से नीतिगत ब्याज पर यथास्थिति कायम रख सकता है रिजर्व बैंक

नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक कल मंगलवार को मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दर के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है. बैंकों व विशेषज्ञों का मानना है कि देश के विभिन्न इलाकों में बेमौसम की बारिश की वजह से खाद्य वस्तुओं के दाम चढे हैं जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक ब्याज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2015 1:34 PM

नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक कल मंगलवार को मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दर के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है. बैंकों व विशेषज्ञों का मानना है कि देश के विभिन्न इलाकों में बेमौसम की बारिश की वजह से खाद्य वस्तुओं के दाम चढे हैं जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा.

हालांकि, केंद्रीय बैंक मूल्य मोर्चे पर स्थिति कुछ सुधरने पर भविष्य में ब्याज दरों में कटौती का संकेत दे सकता है. यूनियन बैंक आफ इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण तिवारी ने कहा कि इस बात की संभावना नहीं है कि रिजर्व बैंक 7 अप्रैल को मौद्रिक समीक्षा में नीतिग ब्याज दर में और कमी करे. विशेष रुप से मूल्य की मौजूदा स्थिति व केंद्रीय बैंक द्वारा हाल के समय में दो बार ब्याज दरों में कटौती के मद्देनजर इस बार इसकी गुंजाइश नहीं है.
इससे पहले रिजर्व बैंक ने 15 जनवरी व 4 मार्च को मुख्य नीतिगत दरों यानी रेपा रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी. दोनों बार कटौती मौद्रिक नीति की नियमित समीक्षा से अलग की गई थी.
भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि वह चाहती है कि रिजर्व बैंक नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती करेगी, जिससे कोष की लागत घटे और बैंक इसका लाभ उपभोक्ताओं को दे सकें.
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन एवं इंडियन बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक टी एम भसीन ने कहा, हम सीआरआर दर में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं जिससे बैंक रिण पर ब्याज दर घटा सकें.
एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री ज्योतिंदर कौर ने कहा कि हाल के हफ्तों में बेमौसम बारिश से रबी की फसल मसलन गेहूं, तिलहन व दलहन पर प्रतिकूल असर पडा है.
एसोचैम के अध्ययन के अनुसार इससे फसल उपज पर 25 से 30 प्रतिशत की कमी आ सकती है. यूटीआई म्यूचुअल फंड के कोष प्रबंधक सुधीर अग्रवाल ने कहा कि रिजर्व बैंक अगले सप्ताह नीतिगत ब्याज दर (रेपो) में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर सकता है या फिर वह कुछ समय इंतजार कर सकता है. उन्होंने कहा कि ऋण की वृद्धि दर निचले स्तर पर है और इसे बढाने की जरुरत है.

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